आपका सबसे बड़ा दुश्मन आपका शुक्राणु है और यदि आप स्त्री हैं तो आपका सबसे बड़ा दुश्मन अंडाणु है। आपके शरीर के अंदर जो शुक्राणु हैं उनके पास मुंह तो है नहीं कि वह बोलेंगे, आपसे कि मुझे फर्टिलाइज होना है मुझे फर्टिलाइज होना है। आ करके तो बोलेंगे नहीं करवा दो फर्टिलाइजेशन। इसके लिए वह अनेक तरीके निकालता है। वह आपके भीतर एक उदासी, एक सुनापन और अकेलापन भर देता है।
आप ज्यादा दिन तक अकेलापन झेल नहीं पाओगे। कुछ दिनों के बाद आपको बहुत बोरियत महसूस होगा। जीवन में एक निराशा उत्पन्न होगी। एक सूनापन एक खालीपन लगेगा। इस सुनेपन और खालीपन को भरने के लिए आप किसी हैंडसम कचरे को घर में लाने की कोशिश करोगे। जो तुम्हारी जिंदगी के सुनेपन को और निराशा को दूर कर दे। यह बहुत पुरानी कहानी है आज की नहीं है। यह लाखों साल पुरानी कहानी है। सभी लोग अपनी जिंदगी इसी कहानी के ऊपर जीते हैं।
कौन है ? जो आपके मन को किसी भी काम में ठीक से लगने नहीं दे रहा है। आप समझ नहीं रहे हो कौन है ? कौन है ? जो आपको इतना खाली समय दे रहा है ? आप जानते हो कौन है ? उसी का नाम है शुक्राणु और अगर आप लड़की है तो मैं कहूंगा उसका नाम है अंडाणु। सिंगल सेल शुक्राणु और अगर आप स्त्री है तो मैं कहूंगा सिंगल सेल अंडाणु।
बात यह है कि ये अंडाणु और शुक्राणु, अपने मतलब के लिए आपके पूरे मानसिक संतुलन को बदल देते हैं। मैनिपुलेट कर देते हैं। उसका बस एक ही इरादा है कि जो सिंगल सेल है वह डबल सेल हो जाए। हमारे शरीर की जो पूरी व्यवस्था है वह नौकर है उस शुक्राणु का। और यदि आप स्त्री हैं तो आपके शरीर की पूरी व्यवस्था नौकर है अंडाणु का।
आप सोचते हैं जीवन में कितनी तन्हाई है। कितना अकेलापन है। कोई मिल जाये तो रौनक आ जाये। लेकिन यह सारा खेल उस उपद्रवी शुक्राणु का है। बहुत छोटा सा उपद्रवी है, जो यह सब करवा रहा है। उसका कुल इरादा इतना ही है कि आपका शरीर किसी ऊँचे काम में न लगे, बस बच्चा पैदा करने की मशीन बना रहे। प्रकृति को आपके कामकाज में कोई रुचि नहीं है। प्रकृति को कोई समस्या नहीं होगी अगर आप अपने कामकाज छोड़ दें। प्रकृति का काम ही है आपको जीवन भर उलझा कर रखे।
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प्रकृति माने समझ रहे हो न? यह जो देह लेकर बैठे हो, और उस देह के भीतर जो शुक्राणु लेकर बैठे हो, वह चाहते ही यही हैं कि तुम कामकाज छोड़ दो। प्रकृति के लिए तो यह बहुत तकलीफ़ की बात हो जाती है, अगर तुम ज्ञान की खोज में निकल जाओ। प्रकृति को खासतौर पर और तकलीफ़ होती है जब कोई महिला ज्ञान की खोज की दिशा में आगे बढ़ती है। महिलाओं की तो प्रकृति ने पूरी व्यवस्था कर रखी है अज्ञानी ही रखने की। इसीलिए महिलाएँ बहुत भावुक होती हैं।
मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है? (Insan ka sabse bada Dushman)
मनुष्य प्रकृति की गुलामी को छोड़कर संयमित जीवन अपनाएं, प्रकृति बिल्कुल भी नहीं चाहती है। इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसके भीतर का शुक्राणु है। यदि आप स्त्री हैं तो आपका सबसे बड़ा दुश्मन है अंडाणु। जब इंसान इनके इरादों को सही से समझ लेगा तो वह एक महापुरुष बन जायेगा। वह फिर शुक्राणु और अंडाणु के पागलपन वाले इरादों में नहीं फंसेगा।
आनंद का दरिया तो अपने अंदर छिपा है, लेकिन इंसान इन उपद्रवी शुक्राणुओं के चक्कर में फस कर सारी जिंदगी संसार की गुलामी करता रहता है।
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