यदि आप बागेश्वर धाम (bageshwar dham) जाना चाहते हैं तो इसी बहाने आप खजुराहो भी घुम सकते हैं। बागेश्वर धाम से खजुराहो करीब 15 किलोमीटर दूर है। खजुराहो भारत के मध्य में स्थित है । यह मध्यप्रदेश राज्य का एक बहुत ही प्राचीन और खास शहर है। यह एक बड़ा ही रमणीय पर्यटक स्थल है। यह मध्यकालीन मंदिरों के लिए देश भर में ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है। कामसूत्र की रहस्यमई झलक वाले खजुराहो मंदिर दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करता है। दूसरी तरफ यहाँ छतरपुर जिले का छोटा सा गाँव गढा अब बहुत लोकप्रिय हो गया है क्योंकि यह स्थान एक पवित्र धाम बन गया है। यहाँ हजारों लोग देश के कोने-कोने से अपनी समस्या का समाधान पाने के लिए आते हैं। वहीं खजुराहो के प्राचीन मंदिरो के कामुक स्मारकों को देखने के लिए रोज हजारों लोग आते है, जिसके कारण इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में रखा गया है। अगर आप बागेश्वर धाम आना चाहते हैं तो आप इसके साथ साथ खजुराहो के प्राचीन मंदिरों का भी दर्शन कर सकते हैं।
खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर हिंदू धर्म और जैन धर्म का एक मिला-जुला संग्रह है। यह सभी मंदिर बहुत पुराने और प्राचीन काल के हैं जिसे चंदेल वंश के राजाओं ने बनवाया था। पुराने समय में खजुराहो को खजूरपूरा के नाम से जाना जाता था। खजुराहो में बहुत सारे हिंदू धर्म और जैन धर्म के प्राचीन मंदिर है। इसके साथ ही इस शहर मैं पत्थरों से बने हुए अलग-अलग कलाकृतियों की मंदिरों की वजह से प्रसिद्ध है। खजुराहो में खासकर यहां के बने हुए प्राचीन मंदिर जो काम क्रीड़ा से भरपूर है उसको देखने के लिए पर्यटन प्रेमियों का यहां जमावड़ा लगा रहता है। खजुराहो में आपको हिंदू संस्कृति और कलाकार एक विशेष सौंदर्य देखने को मिलेगा। यहां निर्मित मंदिरों में स्त्री पुरुष के संभोग कलाओं का बेहद खूबसूरती के साथ चित्रण किया गया है।
खजुराहो का प्राचीन इतिहास (Ancient History of Khajuraho)
पृथ्वीराज रासो में चंदेल वंश की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है। उसमें लिखा है कि काशी के राज पंडित की बेटी हेमवती थी जो उस समय की बहुत ही खूबसूरत कन्या थी। एक दिन वह गर्मियों के मौसम में रात के समय पुष्पों से भरे एक तालाब में स्नान कर रही थी तो उसकी खूबसूरती को देखकर चंद्रदेव ने उसको अपना शिकार बनाने का प्रयास किया। हेमवती की सुंदरता से मोहित होकर चंद्रदेव धरती पर रूप बदल कर आए और हेमवती का हरण कर लिया। हेमवती एक विधवा स्त्री थी और एक बच्चे की मां थी फिर भी चंद्रदेव ने उसके चरित्र का हनन किया।
हेमवती ने चंद्रदेव पर चरित्र हनन और उसके जीवन को नष्ट करने का आरोप लगाया। उसके बाद चंद्रदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने यह हेमवती को यह वचन दिया कि उसे एक वीर पुत्र की प्राप्ति होगी। हेमवती ने चंद्रदेव का यह आशीर्वाद शिरोधार्य किया। फिर उसके कुछ दिनों बाद उसके गर्भ से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। उसे वह लेकर के खजूरपूरा चली गई, जिसे आज खजुराहो कहा जाता है। चंद्रदेव ने हेमवती को यह आशीर्वाद दिया था कि उसका पुत्र राजा बनेगा और वह एक विशाल यज्ञ करेगा जिससे तुम्हारे सारे पाप धुल जाएंगे। वह मध्य प्रदेश का छोटा सा गांव खजुराहो है जहां पर उसने उस पुत्र का पालन पोषण किया। हेमवती के पुत्र का नाम चंद्रबर्मन था जो अपने पिता की तरह ही बहुत ही ताकतवर और तेजस्वी था। चंद्रबर्मन 16 साल की उम्र में ही हथियार चलाना सीख गया था। वह इतना बलशाली था कि बिना किसी हथियार के वह शेर को भी मार सकता था इसलिए उसे वहां का राजा बना दिया गया।
खजुराहो का राजा बनने के बाद चंद्रबर्मन ने कई युद्ध लड़े, जिसमें उसे विजय प्राप्त हुई। चंद्रबर्मन ने कालिंजर नाम का एक विशाल किले का निर्माण कराया और अपनी मां हेमवती के कहने पर वह खजुराहो में तालाबों और उद्यानों से गिरे 85 मंदिरों का निर्माण करवाया। इसके बाद उसने हेमवती को पापमुक्त करने के लिए एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया।