यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं और मीठा आपको बहुत ज्यादा पसंद है तो उसका एक अच्छा विकल्प मैं लेकर आया हूं। उस विकल्प का नाम है स्टीविया प्लांट। अगर आपने Stevia Plant के बारे में सुना है तो आपको पता होगा कि यह चीनी से 300 गुना मीठा होता है। स्टीविया एक ऐसा प्लांट है जो तुलसी के पौधे जैसा होता है इसके पत्ते से स्टीविया पाउडर बनाया जाता है। जिसे डायबिटीज के मरीज प्रयोग करते हैं। यह डायबिटीज को बढ़ने नहीं देता है लेकिन यह मीठा खाने के विकल्प को पूरा करता है। यदि आप मीठा खाना खाना चाहते हैं तो स्टीविया के पाउडर प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि इससे शरीर में शुगर की मात्रा नहीं बढ़ती है। बाकी जितने भी आप मीठे चीज जैसे गुड, चीनी और प्रोसैस्ड मीठे आइटम अगर आप खाते हैं तो उससे शरीर में शुगर की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ जाता है। अगर आप स्टीविया पाउडर का प्रयोग करते हैं तो आपके शरीर में शुगर की मात्रा नहीं बढ़ता है।
चिकित्सा अनुसंधान ने स्टेविया को मोटापा और उच्च रक्त चाप के इलाज में प्रयोग करके इसके लाभ को दिखाया है। दूसरी तरफ पाया गया कि Blood Sugar में स्टेविया लेने से शुगर लेवल नहीं बढ़ता है। इसलिए इसे लोग स्वाभाविक स्वीटनर के रूप में प्रयोग करते हैं।
मधुमेह रोगी अब मीठा पकवान खा सकते हैं
जी हां दोस्तों ! अगर आप मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित हैं और मीठा आपका प्रिय भोजन है तो आप मीठा पकवान और मीठा भोजन बना कर खा सकते हैं। उसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है स्टीविया पाउडर। स्टीविया एक प्लांट है जो तुलसी के पौधे जैसा होता है और जिससे स्वीटनर यानी स्टीविया पाउडर तैयार किया जाता है और यह बाजार में भी आपको मेडिकल स्टोर और अमेजॉन, फ्लिपकार्ट आदि वेबसाइटों पर भी मिल जाएगा। जिसे आप अपने मीठे पकवान या भोजन में डालकर इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके सेवन से आपके शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा नहीं बढ़ता है।
जापान में स्टेविया को बड़ी मात्रा में स्वीटनर के रूप में प्रयोग किया जाता है और यह दशकों से वहां पर उपलब्ध है। कुछ देशों में इसे राजनीतिक विवादों के कारण प्रतिबंधित भी किया गया था । इसलिए इसकी उपलब्धता बहुत कम हो गया है, उदाहरण के लिए अमेरिका में 1990 के दशक में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन 2008 में इसे खाद्य पदार्थ के रूप में रिबाउडायोसाइड-A को मंजूरी मिल गयी है। कई वर्षों के बाद इसकी पैदावार में वृद्धि हुई है जिससे लोग स्टेविया को स्वीटनर के रूप में प्रयोग कर रहे हैं । 1970 के दशक में जापान ने कृत्रिम मिठास के विकल्प के रूप में स्टीविया की खेती करना चालू किया। इसके पौधों की पत्तियों के रस को निचोड़, शुद्धकर स्टेवियोसाइड्स स्वीटनर बनाया जाता है। जापान की कंपनी मोरिटा कगाकू कोग्यो कंपनी लिमिटेड1971 में सबसे पहले इसका उत्पादन किया, तब से जापानी लोग खाद्य पदार्थ, सॉफ्ट ड्रिंक्स, कोका कोला और भोज्य पदार्थ के रूप में स्टीविया का प्रयोग करते हैं। अभी वर्तमान समय में जापान में सभी देशों की तुलना में स्टीविया की खपत बहुत ज्यादा है। स्वीट बाजार में स्टीविया का करीब 40% खपत अकेले जापान में है।
स्टेविया की प्रजातियां जंगलों के प्राकृतिक वातावरण और पर्वतीय इलाके में पाया जाता है। स्टेविया का बीज भी होता है लेकिन उससे अंकुरण कुछ ही प्रतिशत में होता है। इसलिए स्टेविया की डालियों का ही रोपण किया जाता है। पुनः उत्पादन बढ़ाने का यह सबसे अधिक सरल प्रक्रिया है।
औषधीय उपयोग
स्टेविया के पौधे को कई देशों में क़ानूनी प्रतिबंध या नियंत्रण है। लेकिन कुछ देशों में इसे एक स्वीटनर के रूप में उपयोग किया जाता है। दशकों से पैराग्वे, बोलिविया और ब्राजील में गुआरानी जाति के लोग स्टेविया का सेवन स्वीटनर के रूप में और हृदय जलन जैसे अन्य रोगों में प्रयोग करते रहे हैं। इसे वह मीठी जड़ी कहते हैं। वर्तमान चिकित्सा अनुसंधान ने मोटापा और high Blood Pressure के उपचार में इसके प्रयोग को प्रमाणित किया है। Blood Sugar बढ़ाने में Stevia का प्रभाव नगण्य होता है। इसलिए यह ग्लूकोज की सहनशीलता को बढ़ाता है और मधुमेह रोगी इसे प्राकृतिक मिठास के रूप में इस्तेमाल करते हैं।