धरती पर अब किसी को भी डायबिटीज के साथ जीने या मरने की कोई जरूरत नहीं है। जी हां, सुनने में यह काफी हैरानी की बात है, लेकिन यह सच है! डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को अब जीवनभर डायबिटीज की दवाओं या इंसुलिनथैरेपी पर निर्भर नहीं रहना होगा। यदि आप भी डायबिटीज की दवाएं या इंसुलिन लेते हैं तो आप भी
डायबिटीज के जाल में फंस चुके हैं, जो डॉक्टर व दवा उद्योग ने मिलकर बुना है।
मौजूदा चिकित्सा साक्ष्य, चाहे वह सुविख्यात ADOPT ट्रायल हो या पिफर उच्चस्तरीय ACCORD ट्रायल, ये सभी इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि डायबिटीज की दवाएं लेने से आप अपना ब्लड शुगर कम करके खुद को और ज्यादा बीमार बना रहे हैं। याद रखें कि आपको आपका पहले जैसा स्वास्थ्य दिलाने में केवल एक ही व्यक्ति
आपकी मदद कर सकता है- और वह आप स्वयं हैं।
और दवा के रूप में, आहार विज्ञान (साइंस ऑफ फूड) पर आधरित नए प्रमाणों की मदद से ऐसा किया जा सकता है तथापि, अतिश्योक्तिपूर्ण है कि सुदृढ़ दवा उद्योग का गठजोड़ इस ज्ञान जागरूकता को आम लोगों तक पहुंचने से रोक रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने हमारे कई डायबिटीज ट्रेनिंग प्रोग्राम्स को बाधित करने का प्रयास किया, यहां तक कि मेरे खिलापफ प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर मेरी छवि बिगाड़ने का अथक प्रयास भी किया। कई अवसरों पर पफूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) एवं एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने, मेरी आवाज दबाने का प्रयास किया। मेडिकल माफ़ीया द्वारा रचे गए इस समूचे पीड़ादायक घटनाक्रम के चलते मेरे पास दो ही विकल्प बचे थे-
पहला – मैं खामोश होकर बैठ जाउफं।
दूसरा – अपनी आवाज़ को ज़्यादा बुलंद करूं।
लेकिन मैंने दूसरा विकल्प चुना। आज मैं विश्व में बोली जाने वाली सभी प्रमुख भाषाओं में अपने पुस्तक को प्रकाशित करके अपनी बात आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूँ, और इसका एक ही लक्ष्य है- धरती से डायबिटीज को पूरी तरह मिटा देना।
अपने शिक्षण एवं 10,000 से अधिक रोगियों से प्राप्त अनुभवों जिन्हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम कॉन्फ्रेंस अगस्त 2017,
लंदन में प्रस्तुत व प्रकाशित किया गया, के आधार पर निम्न निष्कर्ष प्राप्त किएः
1. यदि टाइप 1 एवं टाइप 2 के डायबिटीज रोगियों को उपचार के पहले ही दिन से दवाओं/इंसुलिन की बजाय
कछुए जैसी DIP डाइट पर रखा जाए तो डायबिटीज को 100 प्रतिशत तक ठीक किया जा सकता है।
2. यदि टाइप 1 डायबिटीज रोगियों को इन्सुलिन थैरेपी के एक वर्ष के भीतर खरगोश जैसी DIP डाइट पर रखा
जाए तो 90 प्रतिशत तक डायबिटीज ठीक किया जा सकता है।
3. यदि इंसुलिन पर निर्भर टाइप 1 डायबिटीज रोगियों को इंसुलिन थैरेपी के 10 वर्षों के भीतर मेंढ़क जैसी DIP
डाइट पर रखा जाए तो ऐसे 60% रोगियों को इंसुलिन से छुटकारा मिल सकता है।
4. निम्न DIP डाइट लेने के 3 महीनों के भीतर, डायबिटीज के लगभग सभी रोगी, डायबिटीज की दवाओं के दुष्प्रभावों को प्रभावी रूप से दूर कर सकते हैं।
यदि आप 1975 से 1985 के बीच के परीक्षणों को देखें, जो डायबिटीज के निदानात्मक मापदंडों के निर्धारण का आधार बनें, तो आप 250mg/dl पर पहुँचेंगे, जो डायबिटीज उपचार की आरंभिक अवस्था है। दूसरे शब्दों में, भोजन करने के 2 घंटे पश्चात् यदि आपका ब्लड शुगर बिना दवा के 250mg/dl से कम हो, तो समझ लें कि आप
डायबिटीज रोगी नहीं हैं। किंतु इसके विपरीत यदि आप केवल कमाई पर ध्यान देने वाले डॉक्टर्स के पास जाएं तो
वे खाली पेट 126mg/dl से कम या इसके लगभग हुआ, तो आपको प्री-डायबिटीक बताया जाएगा। यदि उनकी मानें, इस धरती पर शायद ही कोई सेहतमंद मनुष्य रहा होगा।