Mind Reading

Dusre ke man ki baat jaanne ki kala. मन पढ़ने की कला क्या है ? दूसरे की मन की बात कैसे जानें। Man padhne ki kaun si Kala Hai ? एकाग्रता के लिए कौन सा योग है ? एकाग्रता के फायदे क्या-क्या हैं ? What is the art of mind reading?

बुद्ध पुरुष आचार्य ओशो रजनीश द्वारा सुनाई गई एक कहानी अपने शब्दों में सुनाने का प्रयास करता हूं। एक सम्राट का बेटा बड़ा हुआ, सम्राट ने अपने बेटे को ध्यान की शिक्षा के लिए एक जापानी गुरु के पास भेजा। जापानी गुरु बड़ा अजीब था, उसके आश्रम के बाहर की तख्ती पर लिखा था यहां तलवार चलानी सिखाई जाती है। लड़का देख कर हैरान हुआ कि मेरे पिता ने मुझे ध्यान सीखने के लिए भेजा है। 

लेकिन यहां तो कुछ और ही चल रहा है। गुरु ने लड़के से कहा – तुम कुछ दिन यहां आश्रम में रह लो। जब सही समय आएगा, तो मैं तुम्हारी शिक्षा शुरू कर दूंगा। महीनों बीत गए।  एक दिन गुरु आए और बैठे हुए शिष्य पर लकड़ी की मदद से पीछे से हमला किया। शिष्य दर्द से चिल्लाने लगा और गुरु से बोला आप पागल मालूम होते हो। मुझे यहां शिक्षा के लिए भेजा गया है और आप मुझ पर वार कर रहे हो। गुरु ने कहा आज से तेरी शिक्षा शुरू हो गई है। अब तू ध्यान रखना, सजग रहना। किसी भी समय मैं तुझ पर वार कर सकता हूं। दिन बीतते गए, गुरु दिन भर में उस पर कई बार वार करते । शिष्य कुछ वारों से बच जाता और कुछ से नहीं बच पाता। 3 महीने बाद शिष्य इतना सजा हो गया कि वह गुरु के पैरों की आवाज भी दूर से सुन लेता कि गुरु मेरे पास आ रहे हैं। अब गुरु उस पर एक दिन भी वार न कर पाते। अब गुरू ने कहा तेरी दूसरी परीक्षा शुरू हो गयी है। अब नींद में भी ध्यान रखना। क्योंकि नींद में भी तुझ पर वार हो सकते हैं। शिष्य के ऊपर कुछ दिन नींद में भी बार हुए, लेकिन फिर शिष्य नींद में भी सजग रहने लगा। नींद में भी गुरु पास आते तो उसे पता चल जाता। देखते देखते 6 महीने में उस शिष्य का ध्यान और होश बढ़ गया। 

एक दिन गुरु साधना कर रहे थे, शिष्य ने सोचा गुरु ने मुझे इतनी बार मारा है। क्यों न आज गुरु की परीक्षा ली जाए कि – आखिर उनका ध्यान कितना सजग है। शिष्य ने मन में सोचा ही था कि – गुरु की आवाज आई – रुको, रुको नहीं। ऐसा करने की सोचना भी मत। मेरी हड्डियां बूढ़ी हो चुकी है मुझे मत मारना। शिष्य हैरानी से बोला – आपने मेरे मन की बातें कैसे जान ली? गुरु ने कहा – बेटा अब मेरा मन इतना शांत और ध्यान इतना सजग हो चुका है कि मैं अब दूसरों की भावनाओं और मन के विचारों को पढ़ लेता हूं। बेटा, अपने सम्राट पिता के महल वापस लौट आया।  पिता ने पूछा कैसे थे तुम्हारे गुरु ? बेटा ने कहा – गुरु ने मुझे तलवार चलाना तो नहीं सिखाया, लेकिन अब कोई मुझ पर वार नहीं कर सकता। मेरा ध्यान इतना सजग और तीव्र हो चुका है। 

दोस्तों ! एक शांत और सजग मन आपके जीवन में ध्यान को जन्म देता है और जितना गहरा आपका ध्यान रहेगा, उसी लेवल पर आप चीजों को याद रख पाओगे। यहां तक कि शांत मन में इतनी ताकत होती है कि आप दूसरों के दिमाग को पढ़ना सीख जाओगे। इसलिए हर दिन सजग रहने के लिए ध्यान करो। ध्यान से आपके दिमाग में स्थित कई बंद छिद्र खुलते हैं और आपकी बुद्धिमत्ता बढ़ती है। 

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