हीरा भस्म का गुण और उपयोग : यह रसायन नपुंसकता नाशक तथा स्त्रियों के मद को नष्ट करने वाला है। इस रसायन के सेवन से शरीर में अतुल बल की प्राप्ति होती है। हीरा भस्म (Hira Bhasma) शरीर को सुदृढ़ बनाने वाली एक पौष्टिक रसायन है। यह बलदायक होने के साथ-साथ कामोत्तेजक भी है। यह शरीर के वर्ण को सुंदर करने वाला सुखदायक तथा वात, पित्त, कुष्ठ, क्षय, भ्रम, कफ, वात, शोथ, मेद, प्रमेह, भगंदर और पांडु रोग नाशक है। यह सारक, शीतल, कसैला मधुर, नेत्रों के लिए हितकारी और शरीर को शक्ति प्रदान करने वाला है।
हीरा भस्म (Hira Bhasma) नपुंसकता की अद्वितीय औषध है। यह वृष्य उत्पादक अंगों को बल देने वाला, आयु वर्धक, नेत्र ज्योति वर्धक, बलवर्धक, त्रिदोष नाशक और मेधावर्धक है।
हीरा भस्म (Hira Bhasma) रस सिंदूर या मकरध्वज मिलाकर मलाई के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से भयंकर से भयंकर नपुंसकता नष्ट हो जाता है। राज्यक्षमा में हीरा भस्म को स्वर्ण भस्म तथा रस सिंदूर के साथ मिलाकर सेवन करने से आश्चर्यजनक लाभ होता है।
रस सिंदूर युक्त हीरा भस्म (Hira Bhasma) में कपूर, खांड तथा छोटी इलायची के बीज का चूर्ण मिलाकर इसको दूध के अनुमान के साथ निरंतर 6 महीने तक सेवन करने तथा मधुर पदार्थों के भोजन करने से पुरुष में अनेक स्त्रियों के साथ समागम करने की शक्ति आ जाती है। इसके सेवन से शरीर में सुंदरता, तीव्र की पाचन शक्ति, अतुल बल और प्रखर बुद्धि की प्राप्ति होती है। ह्रदय की दुर्बलता एवं रक्तचाप वृद्धि रोग में हीरा भस्म 3.5 रत्ती को मुक्ता पिष्टी एक रत्ती के साथ मधु मिलाकर देने से बहुत उत्तम लाभ होता है। डॉक्टरों से त्यक्त रोगी भी इससे अच्छे होते देखे गए हैं। करकट व्रण में भी ताम्र भस्म आधी रत्ती के साथ मिलाकर देने से लाभ होता है।
नोट : इस दवा को प्रयोग करने से पहले किसी वैद्य से जरूर परामर्श लें, फिर इसका सेवन करें।