kundlini shakti

कुंडलिनी शक्ति क्या है ? (Kundalini Shakti kya hai)

कुंडलिनी के विषय में लोगों में बड़ी भ्रांत धारणा है। यह बात ठीक है की भ्रांति के निवारण के लिए समय-समय पर बराबर प्रयास किया गया, लेकिन प्रयुक्त होने वाली भाषा इतनी जटिल और दुरूह रही कि साधारण लोग “अभिप्राय” को समझ सकने में असफल रहे। आपको मालूम होना चाहिए चेतना और शरीर का जो मिलन बिंदु है मूलाधार चक्र। उस पर वह शक्ति है जिसे आत्मशक्ति कहते हैं। आत्मशक्ति (Atma Shakti) की जो ऊर्जा है उसकी अभिव्यक्ति शुक्र बिंदु और रजबिंदु में होती है। उसके दो रूप हैं – जब अधोमुखी होकर प्रभावी प्रवाहित होती है तो काम शक्ति बन जाती है और वही जब साधना के बल परउर्ध्वमुखी होकर प्रभावित होने लग जाती है तो कुंडलिनी शक्ति (Kundalini Shakti)  बन जाती है। स्त्री-पुरुष की दृष्टि से भेद यही है कि स्त्री में वह अपनी दोनों अवस्थाओं में काम शक्ति ही बनी रहती है। कुंडलिनी संज्ञक नहीं होती। 

आत्म शरीर क्या है ? (Atma Sharir kya hai)

आत्म शरीर की पहली उपलब्धि तो अद्वैत लाभ ही है। जो आत्म शरीर को उपलब्ध होता है उसकी निद्रा हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। वह सतत जागता ही रहेगा। हर अवस्था में और हर समय वह जाग्रत रहेगा। अगर सोयेगा भी तो उसका शरीर ही सोएगा। उसके भीतर सतत कोई जागता रहेगा। तीसरी उपलब्धि है ‘मैं कौन हूं’ का उत्तर प्राप्त होना। आत्म शरीर को उपलब्ध व्यक्ति को पहली बार इस बात का पता चलता है कि वह कौन है? कहां से आया है? और कहां जाएगा?  चौथी उपलब्धि है “मैं” का मिट जाना। 

‘मैं’,  ‘हूं’ अहंकार का बोधक है। पांचवे आत्म शरीर को जिसने प्राप्त कर लिया है उसका अहंकार तो मिट जाता है मैं का भाव भी मिट जाता है, लेकिन ‘हूँ’ भाव नहीं मिलता है। ‘मैं हूँ’ इसमें दो चीजें हैं – “मैं” तो अहंकार है और “हूं” अस्मिता है यानी होने का बोध। ‘मैं’ तो मिट जाता है मगर ‘होना’ रह जाता है। ‘हूँ’ रह जाता है- अस्मिता रह जाती है। एक प्रकार की यह समाधि की अवस्था समझी जाएगी। समाधी में केवल ‘अस्मिता’ रहती है ‘मैं’ का बोध समाप्त हो जाता है। 

FAQ.

Q. कुंडलिनी क्या है ?

Ans. काम शक्ति जब अधोमुखी होकर प्रभावी प्रवाहित होती है तो पतन का कारण बन जाती है और वही जब साधना के बल परउर्ध्वमुखी होकर प्रभावित होने लग जाती है तो कुंडलिनी शक्ति (Kundalini Shakti)  बन जाती है।

Q. कुण्डलिनी शक्ति के चमत्कार क्या है ?

Ans. सारी शक्तियां और सिद्धियां कुंडलिनी जागरण से हासिल हो जाती है। जिसकी कुंडलिनी शक्ति पूर्ण रूप से जागृत हो जाती है उसको संसार में कोई भी चीज दुर्लभ नहीं रहता है। 

Q. कुंडलिनी शक्ति कैसे जागृत होती है। 

Ans. कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए किसी योग्य गुरु की आवश्यकता पड़ती है तभी उसका ठीक से जागरण हो पाता है। 

Q. कुंडलिनी जागरण के फायदे और नुकसान क्या हैं। 

Ans. कुंडलिनी शक्ति जागरण के बहुत सारे फायदे हैं आदमी शरीर से स्वस्थ रहता है और उसी शक्तियां और सिद्धियां हासिल हो जाती है लेकिन जब इसमें किसी भी प्रकार की गलती हो जाती है तो आदमी को बहुत बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है। 

Q. कुण्डलिनी जागरण के लक्षण क्या हैं। 

Ans. जब कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है तब मूलाधार चक्र में कुछ अनोखे अनुभव प्रतीत होते हैं। जैसे कम्पन या कोई चीज मूलाधार चक्र से ऊपर के तरफ प्रवाहित होती प्रतीत होता है। इसमें आदमी कभी हंसता है, कभी रोता है और कभी आसन प्राणायाम अपने आप होने लगता है। कभी असीम आनंद की अनुभूति भी होती है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *