Madhumeha Nashini Gutika

मधुमेह नाशिनी गुटिका मधुमेह रोग के लिए एक बहुत ही उत्तम आयुर्वेदिक दवा है। इसके सेवन से मधुमेह यानी डायबिटीज में अपूर्व लाभ होता है। यह त्रिवंग भस्म, गुड़मार की पत्ती एवं शिलाजीत आदि मधुमेह नाशक द्रव्य को मिलाकर बनाया गया है जो मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए एक अच्छा विकल्प है। इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। 


मधुमेह नाशिनी गुटिका बनाने की सामग्री (Ingredients for Madhumeha Nashini Gutika)

मधुमेह नाशिनी गुटिका (Madhumeha Nashini Gutika) बनाने के लिए त्रिवंग भस्म 4 तोला, गुड़मार की पत्ती 12 तोला, छाया में सुखाई हुई नीम की पत्ती 12 तोला, शुद्ध शिलाजीत शुष्क 24 तोला, लेकर प्रथम चूर्ण करने योग्य द्रव्यों का सूक्ष्म कपड़छन चूर्ण करें। उसके पश्चात सब द्रव्यों को एकत्र कर  मिलाकर चल के साथ मर्दन करें और 3-3 रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखाकर रख लें। यदि इसमें एक तोला स्वर्ण भस्म डाली जाए तो यह विशेष गुणकारी बन जाती है। 

इस उत्पाद की विशेषता (Feature of this product)

नवीन मधुमेह को नष्ट करता है। (Cures New Diabetes)

यह मधुमेह को नियंत्रित करता है। (It controls diabetes.)

रक्त रस आदि धातुओं को पुष्ट करता है। (Strengthens the metals like blood rasa etc.)

मधुमेह से होने वाले खतरे को कम करता है। (Reduces the risk of diabetes.)

शरीर के अवयवों को क्षति होने से बचाता है। (Protects body parts from damage.)

पेशाब में शक्कर जाने से रोकता है। (Prevents sugar from passing in urine.)

मधुमेह नाशिनी गुटिका कैसे लें ? (Madhumeha Nashini Gutika Kaise Len)

मात्रा और अनुपान : दो से तीन गोली दिन में 3-4 बार या आवश्यकतानुसार ताजी हल्दी का स्वरस और आंवला स्वरस के साथ दें या जामुन की गुठली का चूर्ण एक मासा, गूलर का चूर्ण एक मासा और ताजी गिलोय या विल्ब पत्र स्वरस आधा तोला के साथ दें। 

मधुमेह नाशिनी गुटिका के गुण और उपयोग (Madhumeh Nashini Ke Gun Aur Upyog)

त्रिवंग भस्म, गुड़मार की पत्ती, शिलाजीत आदि मधुमेह नाशक उत्तम द्रव्यों से निर्मित इस वटी के सेवन से मधुमेह रोग में शीघ्र ही आशाप्रद लाभ होता है। कुछ दिनों तक पथ्य और संयम के साथ इस बेटी के सेवन से नवीन मधुमेह में शीघ्र लाभ होता है। 

वक्तव्य : इस योग में स्वर्ण भस्म एक तोला, जामुन की गुठली का चूर्ण 12 तोला मिलाकर गूलर पत्र स्वरस, गिलोय स्वरस और विजयसार के क्वाथ की एक-एक भावना देकर मर्दन कर वटी बनाने से इसके गुण धर्मों में अत्यंत वृद्धि होती है। 

मधुमेह नाशिनी गुटिका के फ़ायदे (Madhumeh Nashini Gutika Ke Fayde)

इसके सेवन से प्रमेह रोग में अपूर्व लाभ होता है। इसके नियमित सेवन से मधुमेह रोग नष्ट हो जाता है। अतः यह मधुमेहारी योग के नाम से भी जाना जाता है। मधुमेह कठिन रोग है और इसका प्रसार भी आजकल अधिक हो रहा है। प्रायः पौष्टिक भोजन करने वाले वे लोग जो शारीरिक श्रम का कार्य नहीं करते केवल दिमागी कार्य करते हैं। उन लोगों को यह रोग अधिक होता है। बीज दोष से या वंश परंपरागत भी यह रोग होता है। कितने ही कम उम्र के बच्चों को भी यह रोग होते देखा गया है। इसमें होता यह है कि यकृत की पित्तोत्पादक ग्रंथि पेनक्रियाज की क्रिया में विकृति आने पर वह भोजन द्रव्यों में जो मधुरसार (शर्करा) रहता है उसे द्राक्षोज में परिणत नहीं कर पाती और यह शर्करा ऐसे ही पेशाब में घूलकर बाहर निकलती रहती है। जिससे शरीर में शक्ति बढ़ाने में मुख्य ईंधन द्राक्षोज नहीं मिल पाती या कम मिल पाती है। इससे शारीरिक धातुयें निर्बल हो जाती है। रोगी के शरीर तथा दिमाग में अत्यंत कमजोरी अनुभव होती है। किसी काम में मन नहीं लगता और चिंता, भ्रम तथा थकावट बराबर बनी रहती है। आधुनिक चिकित्सा में इसके लिए सबसे अधिक अच्छी दवा इंसुलिन का इंजेक्शन है। रोगी के मूत्र में शर्करा की जांच कराते रहें। जब भी शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है यह इंजेक्शन लगवाने होते हैं। किंतु इन इंजेक्शनो की भी कितनी ही संख्या में लगवा चुकने पर भी रोक नहीं मिटता। केवल रोग को दबाए रखने की शक्ति इनमें है और यह इंजेक्शन अधिक महंगे भी पढ़ते हैं। इस प्रकार अधिक व्यय करने पर भी रोगी को इस बीमारी से मुक्ति नहीं मिलती और रोगी अपने जीवन से निराश हो जाता है। ऐसे कितने ही पीड़ित बंधुओं को इस “मधुमेह विनाशनी वटी” एवं मधुमेहारी योग  के सेवन से अच्छा लाभ होते देखा गया है। 

साभार : आयुर्वेद सार संग्रह

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