Murge ki shahadat

अगर भगवान ने सृष्टि बनाई है तो इस धरती के हर जीवो को जीने का अधिकार भी दिया है। इस पृथ्वी पर जितने भी जीव जगत के प्राणी हैं उसमें से कोई भी ऐसा नहीं है जो मरना पसंद करता हो। हर जीव अपने सगे संबंधियों से जुड़ा रहता है, चाहे वह कीट-पतंग या कोई भी जीव-जंतु, जानवर या मनुष्य हो। सब अपने सगे संबंधियों की रक्षा करते हैं। धरती का कोई भी प्राणी अपने सगे संबंधियों से बिछड़ना नहीं चाहता है लेकिन यह स्वार्थी मनुष्य बहुत अन्याय करता है।

इस भूमंडल पर मनुष्य ही एक ऐसा जीव है जो गाय का दूध भी पीता है और गाय का मांस भी खा जाता है। मुर्गी का अंडा भी खाता है और मुर्गी को भी खा जाता है यह कैसा न्याय है। इस धरती पर मनुष्य के जैसा इतना घातक और खतरनाक प्राणी कोई भी नहीं है। सांप के पास मनुष्य को मारने के लिए भरपूर जहर होता है फिर भी वह इंसानों से डरता है। धरती का यह हब्सी इंसान न जाने क्या क्या गुनाह करता है फिर भी उसके जीवन में कोई संतुष्टि नहीं है।

इसी संदर्भ में यह कहानी जरूर पढ़ें
एक दिन मुर्गे ने अपनी बीबी मुर्गी से कहा : देख मै अब कुछ दिनों का मेहमान हूँ अपने बच्चों की देखरेख ठीक से करना । क्यूंकि काल कभी पूछकर नहीं आता है । मुर्गी ने कहा : क्यों ऐसी बातें कर रहे हो? क्या हो गया है तुम्हे । मुर्गे ने जबाब दिया : तू देख नहीं रही है मै पहले से कितना मोटा ताजा हो गया हूँ । मुर्गी ने कहा : तो फिर क्या हुआ । मोटे ताजे होने से तुम्हे परेशानी क्या है ।

मुर्गे ने जबाब दिया : प्रिये तू नहीं जानती ये आदमी लोग कितने हब्सी हैं। इनको हमारे ही अन्दर सबसे ज्यादा विटामिन दिखाई देता है । अब मै मोटा हो गया हूँ तो पता नहीं मेरी गर्दन कब कट जाये । इसलिए अपने बच्चों का ख्याल रखना । मुर्गी ने कहा : हम भगवान से प्रार्थना करेंगे तुम्हारी लम्बी उम्र के लिए । मुर्गे ने जबाब दिया : ये जो भगवान है न वो हम जानवरों की नहीं सुनता है, अगर उसे हमारी जान की परवाह होती तो हम क्यों कटते । मुर्गी ने कहा : हमने तो इन इंसानों का कुछ बिगाड़ा नहीं फिर क्यूँ काटते है हमें । क्या हमें जीने का अधिकार नहीं है । ये आदमी लोग चावल दाल, फल, मेवा, मक्खन, मिश्री, दूध सबकुछ खाते हैं फिर हमें क्यों काटते हैं, हमारा खून क्यों पीते हैं, हमारे ही अन्दर उनको विटामिन क्यों दिखाई देता है। मुर्गे ने कहा : प्रिये वो हमें बो कर काटते हैं । फिर मुर्गी ने जबाब दिया : उनके माँ बाप ने भी तो उनको बोया होगा फिर वो अपने बेटों को क्यों नहीं काटते । इतने में मुर्गे खरीदने चार ग्राहक आ गए और मुर्गे का कान पकड़कर लेके चल दिए । मुर्गी बेचारी क्या करे आँखों में आंसू लिए अपने प्रिये को देखती रही जबतक वो आँखों से ओझल न हुआ ।

कहने का मतलब यह है कि संसार में जितनी भी वस्तुएं हैं जैसे – नदी- नाला, पर्वत-पहाड़, जीव-जंतु, मनुष्य सब को मिलाकर सृष्टि का रूप दिया गया है और इस सृष्टि में सब अपने तरीके से जीते हैं। लेकिन एक मनुष्य ही ऐसा जीव है जो सारे दुखों की जड़ खुद खोदता है और दोष भगवान पर मढ़ता है। मनुष्य अपनी मां का तो दूध पीता ही है जानवरों का भी छीन कर पीता है और उससे भी पेट नहीं भरता है तो उन्हें काटकर भी खा जाता है, और जब जीवन में कष्ट आता है तो भगवान को दोष देता है। अपने कर्मों का दोष नहीं देता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *