Rakshabandhan 2024
  • रक्षाबंधन कब से और क्यों मनाया जाता है? Raksha Bandhan kab aur kyu Manaya jata hai ?
  • रक्षाबंधन की असली कहानी क्या है? Raksha bandhan ke Piche ki asali kahani kya hai?
  • रक्षाबंधन पर्व का क्या महत्व है? Raksha Bandhan Parv ka mahatva kya hai?
  • रक्षाबंधन किसका त्यौहार है? Rakshabandhan Kiska tyohar hai ?

रक्षा बंधन हिन्दू धर्म का एक लोकप्रिय, पारंपरिक और वार्षिक संस्कार का पर्व है।  Raksha Bandhan दक्षिण एशिया में मनाया जाने वाला एक खास त्योहार है। इस दिन सभी उम्र की बहनें अपने भाइयों की कलाई के ऊपर राखी बांधती हैं।  प्रतीकात्मक रूप से यह उनकी रक्षा करती हैं, बदले में बहनों को अपने भाई से उपहार प्राप्त होता है। इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 सोमवार को पड़ा है। 

रक्षा बंधन हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह के अंतिम दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त में पड़ता है। “रक्षा बंधन,” को शाब्दिक रूप से, “सुरक्षा, दायित्व, या देखभाल का बंधन,” माना जाता है। जिसमे भाई अपने बहन की रक्षा करने का वचन देता है। 

प्राचीन हिंदू ग्रंथों में ऐसी प्रथा का वर्णन है जिसमें एक घरेलू पुजारी सभी लोगों की कलाई पर धागा बांधता था। जो संरक्षक के रूप में काम करता था।  

Raksha Bandhan विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व का पर्व है। रक्षा बंधन क्षेत्रीय या ग्राम बहिर्विवाह की प्रथा में निहित है, जिसमें एक दुल्हन अपने जन्म के गांव से बाहर शादी करती है, और उसके माता-पिता हिन्दू प्रथा के अनुसार उसके विवाहित घर में नहीं जाते हैं। इसलिए Raksha Bandhan के दिन विवाहित हिंदू महिलाएं इस पर्व के लिए हर साल अपने माता-पिता के घर वापस आती हैं। उनके भाई, जो आमतौर पर माता-पिता के साथ या आस-पास रहते हैं, कभी-कभी अपनी बहनों के विवाहित घर में उन्हें वापस लाने के लिए जाते हैं। कई युवा विवाहित महिलाएं कुछ सप्ताह पहले अपने जन्म के घर पहुंचती हैं और Raksha Bandhan के पर्व तक रहती हैं। इस दिन भाई अपनी विवाहित बहनों के आजीवन सुरक्षा के लिए संकल्प लेते हैं।

रक्षाबंधन का इतिहास (History of Rakshabandhan)

रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) की शुरुआत सिंधु घाटी की सभ्यता के समय से देखने को मिलता है। इसकी उत्पत्ति तब हुई जब आर्य समाज में हिंदू सभ्यता की शुरुआत हुई थी। रक्षाबंधन के पर्व के दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा का एक धागा बांधती हैं। लेकिन अगर कोई भाई दूर-दराज में रहता है तो उसके लिए भी बहने पोस्ट ऑफिस या कोरियर के माध्यम से राखी भेजती हैं और जिनकी अपनी सगी बहन नहीं है कोई मुंह बोली बहन है वह भी उनसे अपनी कलाई पर राखी बंधवाते हैं। 

रक्षाबंधन की परंपरा की शुरुआत उन्ही बहनों के साथ हुई थी जो सगी नहीं थी। इन बहनों ने भले ही अपनी सुरक्षा के लिए इस पर्व की शुरुआत की हो लेकिन उन्हीं की बदौलत आज पूरे भारतवर्ष में यह पर्व मनाया जाता है। 

इतिहास उठाकर देखें तो इस पर्व की शुरुआत लगभग 6 हजार साल पहले हुई थी।  हमारे इतिहास के पन्नों में कई सारे साक्ष्य मौजूद हैं। 

अध्ययनों से पता चलता है कि रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) की शुरुआत सबसे पहले रानी कर्णावती ने किया था। एक समय ऐसा था जब राजपूत व मुस्लिमों के बीच बहुत संघर्ष चलता था। बहादुर शाह चित्तौड़ पर हमला करने की सोच रहा था। जिससे सुरक्षा पाने के लिए महारानी कर्णावती ने ने हुमायूं को राखी भेजा था। उसके बाद हुमायुँ ने कर्णवती को अपनी बहन मानकर उनकी रक्षा की थी। 

दूसरा उदाहरण है एलेग्जेंडर और पुरु का। पुरु ने एलेग्जेंडर पर चढ़ाई कर दिया था।  ऐसा कहा जाता है कि एलेग्जेंडर की पत्नी ने भी पुरु को राखी भेजी थी जिससे पुरु ने अलेक्जेंडर को बक्श दिया था। 

तीसरा उदाहरण है कृष्णा और द्रोपदी का। जब दुष्ट राजा शिशुपाल को भगवान श्री कृष्ण ने मारा था। उस समय युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की उंगली से खून निकल रहा था, जिसे देखकर द्रौपदी बहुत दुखी हुई और उन्होंने अपने साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर के उनकी अंगुली को बांधा था। जिससे उनका खून बहना रुक गया था। तभी से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया गया था। वर्षों बाद जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार चुके थे उस भरी सभा में जब उसका चीरहरण हो रहा था तब कृष्ण ने द्रौपदी की इज्जत बचाई थी। 

रक्षाबंधन कैसे मनायें  (How to Celebrate Rakshabandhan)

सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् । सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।

इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है । इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्षभर मनुष्य रक्षित हो जाता है ।’  (भविष्य पुराण)

रक्षा-सूत्र बाँधने का मंत्र (Raksha Sutra bandhne ka Mantra)

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः । तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।

जिस पतले रक्षासूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसीसे मैं आपको बाँधती हूँ । आपकी रक्षा हो । यह धागा टूटे नहीं और आपकी रक्षा सुरक्षित रहे । -यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करना चाहिए। 

रक्षाबंधन के दिन सुबह बहन स्नान करके सबसे पहले अपने इष्ट देव की पूजा करती है। उसके बाद रोली, अक्षत, कुमकुम एवं दीप जलाकर थाल को सजाती है। जिसमें रंग-बिरंगी राखियों और मिष्ठान आदि को रखकर अपने भाई के पास जाती है। उसके बाद बहन अपने भाई के सिर पर कुमकुम, रोली, अक्षत से तिलक करती है और भाई की कलाई पर रेशम की एक धागा बांधती है। धागा बांधने के बाद  उसके मुंह में एक मीठा प्रसाद भी डालती है। राखी बंधवाने के बाद भाई अपने बहन को रक्षा का आशीर्वाद व उपहार स्वरूप धन देता है। बहन भाई की हाथ पर राखी बांधते समय उसकी लंबी आयु एवं सुख, समृद्धि की कामना करती है। 

इस रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों के हाथ पर राखी इसलिए भी बांधती हैं  ताकि उनको भूत-प्रेत आदि अन्य बाधाओं से रक्षा हो सके। जिन लोगों की कोई बहन नहीं है वह भी अपने किसी मुंहबोली बहन से अपने हाथ पर राखी बनवाते हैं, तो उनको अच्छा फल मिलता है। आजकल सोने और चांदी के राखी का भी प्रचलन बढ़ गया है। चांदी और सोने धातुओं का भी राखी बनाए जाने लगा है और इनकी काफी डिमांड भी है। जो पैसे वाले हैं वह इन सोने और चांदी के धातु के राखियों का प्रयोग करते हैं। लेकिन यह राखी बांधते समय उसमें एक रेशम का धागा जरूर लगा देना चाहिए।  

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