- औरतें सिंदूर क्यों लगाती हैं ? Aurte Sindur kyu lagati hain ?
- सिंदूर लगाने का उद्देश्य क्या है? sindoor lagane ka uddeshya kya hai ?
- बिहारी नाक तक लंबा सिंदूर क्यों लगाते हैं? bihari nak tak lamba sindur kyu lagate hai?
- बिहारी नारंगी सिंदूर क्यू लगते हैं ? bihari narangi sindoor kyu lagate hai?
आप उगते सूर्य को ध्यान से देखेंगे तो उसका रंग नारंगी होता है और यह रंग हल्की लालिमा के साथ दिखाई देता है। जो इस बात का प्रतीक है कि सूर्य हर दिन लोगों के जीवन में एक नई सुबह लेकर आता है। जिसमें एक नई ऊर्जा समाई होती है।
सूर्य का नारंगी रंग नए सवेरे के साथ शुरू होता है और यह रंग जीवन में नया प्रकाश लाने वाला होता है। यूपी और बिहार में औरतें नारंगी रंग का सिंदूर हर समय नहीँ लगाती हैं। इसे कुछ खास मौकों पर ही लगाने का प्रावधान है। पहली बार बिहार में विवाह के समय जब औरतों का मांग भरा जाता है तो उस समय नारंगी रंग के सिंदूर का ही प्रयोग होता है। यह नारंगी रंग का सिंदूर लड़की के जीवन में एक नया उजाला लेकर आये और यह उजाला उसके जीवन में हमेशा कायम रहे। इसलिए शादी के समय नारंगी रंग के सिंदूर का ही प्रयोग किया जाता है।
यूपी और बिहार में जितनी भी शादियां होती हैं उनकी सारी रस्में रात को ही होती हैं, लेकिन जो सिंदूरदान समय होता है तो वह सुबह की पौ पटने के समय ही होता है। क्योंकि उस समय सूर्य का रंग नारंगी रंग का ही होता है। नारंगी रंग का सिंदूर इस बात को दर्शाता है कि यह लड़की के जीवन में सूर्य की तरह नया सवेरा लेकर आएगा।
रात से लेकर सुबह तक शादी में जितनी भी रस्में होती हैं, उनके पीछे यही मान्यता है कि परिवार के कुटुंब के साथ-साथ चांद, तारे, सूर्य सभी इस साक्षी शादी के साक्षी हैं। उस समय सभी औरतें आशीर्वाद के तौर पर लड़की को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती हैं और लड़की की नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाती है। शादी के बाद लड़की को नारंगी की जगह लाल सिंदूर लगाना होता है। लाल रंग को मां पार्वती का आशीर्वाद माना जाता है। इसलिए विवाह के बाद रोज पतिव्रता औरतों को लाल सिंदूर ही लगाना होता है।
सिंदूर लगाने का मकसद
यूपी और बिहार में विवाहित औरतों द्वारा सिंदूर लगाने का कारण है पति की लंबी उम्र और उसकी तरक्की हो और उसका सुहाग हमेशा बना रहे। इसलिए यूपी और बिहार में सुहागिन औरतें सिंदूर लगाना कभी बंद नहीं करती हैं। पुराने जमाने में यूपी बिहार की औरतें सर पर हमेशा पल्लू रखती थी। पल्लू से सर को ढकने के कारण मांग में लगा सिंदूर दिखाई नहीं देता था, इसलिए महिलाएं नाक तक सिंदूर लगा लेती थी, जो दिखाई देता था।
हमारी भारतीय संस्कृति में नाक को हमेशा इज्जत का प्रतीक माना जाता रहा है इस वजह से औरतें नाक तक सिंदूर लगाती थी कि घुंघट से ढँक जाने के बावजूद भी नाक पर लगा सिंदूर दिखाई देता रहे। बदले हुए जमाने के साथ घुंघट प्रथा अब तो खत्म हो गई है और हर दिन नाक पर सिंदूर लगाने का प्रचलन भी समाप्त हो गया है।
अब नारंगी रंग का सिंदूर औरतें कुछ खास पर्व पर ही लगाती हैं। सिंदूर लगाने की ऐसी प्रथा है कि चाहे आज शहर की मॉडल लड़की हो या गांव की लड़की हो सिंदूर एक बार जरूर लगाती है। सिंदूर की मान्यता आज भी है इसपर लोग किसी तरह तर्क-वितर्क नहीं करते हैं।
यूपी और बिहार में छठ पूजा बट सावित्री पूजा और हारतालिका तीज के समय सभी औरतें नाक तक सिंदूर का प्रयोग करती हैं। नाक के ऊपर तक सिंदूर लगाकर पूजा करने की वजह घर में घर में सुख, शांति और समृद्धि बना रहे। इसलिए नाक से लेकर सर तक सिंदूर लगाने का प्रचलन है। जिस तरह किसी खास अवसर पर औरतें सिंदूर लगाती हैं उसी तरह नाक पर भी सिंदूर लगाना किसी पूजा का ही हिस्सा है जो घर में सुख-समृद्धि का परिचायक माना जाता है।
मैं खुद यूपी का रहने वाला हूं और इतना जानता हूं कि कुछ मान्यताओं पर हम पूरा विश्वास करते हैं उस पर कोई बहस नहीं करते हैं। कोई तर्क की वितर्क नहीं करते हैं। यही कारण है कि यूपी में और बिहार में कुछ खास अवसरों पर औरतें नारंगी रंग का सिंदूर नाक तक लगाती हैं।