अपने भौतिक शरीर से परे की यात्रा करने के लिए सूक्ष्म शरीर का उपयोग कैसे करें ? सूक्ष्म शरीर मानव ऊर्जा प्रणाली की ही एक परत (Layer) है जो भौतिक शरीर से परे है। इन परतों (Layers) के माध्यम से सार्वभौमिक जीवन शक्ति ऊर्जा प्रवाहित होती है, इसलिए उनकी भूमिका को समझना उपयोगी है। यदि आप यह जानना चाहते हैं कि भौतिक तल से परे क्या है, तो यह लेख आपका मार्गदर्शन करेगा।
नोट: इस लेख में मौजूद जानकारी और शर्तें बारबरा ब्रेनन की पुस्तक “हैंड्स ऑफ लाइट” से प्रेरित हैं। मैंने वहां से केवल आवश्यक जानकारी को ही लिया है। यह विषय काफी व्यापक हो सकता है। इसलिए, मैंने सूक्ष्म शरीर की आसान समझ प्रदान करने के लिए केवल आवश्यक चीजों को शामिल किया है।
यदि आप जप, ध्यान जैसी आध्यात्मिक पद्धतियों में रुचि रखते हैं, तो सूक्ष्म शरीर का अभ्यास कर सकते हैं। सूक्ष्म शरीर को निकालने की एक प्राचीन गूढ़ प्रथा है जो दुनिया भर में कई संस्कृतियों के साधक इस आध्यात्मिक अभ्यास को करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। सूक्ष्म शरीर का उपयोग करके अपने भौतिक शरीर से पार निकलना जटिल लगता है, लेकिन यह हो सकता है। इसे कोई भी व्यक्ति धैर्य और अभ्यास के साथ कर सकता है, और एक बार महारत हासिल करने के बाद यह एक आध्यात्मिक कौशल बन जाता है। वास्तव में सूक्ष्म शरीर की यात्रा (Sukshma Sharir ki Yatra) क्या है? संक्षेप में समझें, यह स्थूल शरीर से बाहर की यात्रा है जिसमें स्वप्न जैसी लेकिन सचेत अवस्था में यात्रा किया जाता है (जिसे ध्यान और आत्म-सम्मोहन जैसी प्रथाओं का उपयोग करके प्राप्त किया जाता है) और अंतरिक्ष में अन्य स्थानों पर “यात्रा” करना संभव होता है। अपने मन की शक्ति का उपयोग करके यह विद्या हासिल की जाती है। यह एक सपने जैसा होता है, लेकिन इसमें आप पूरी तरह से स्पष्ट, जागरूक और अपने स्वयं के निर्णयों के नियंत्रण में होते हैं।
यह इस धारणा पर आधारित है कि हमारे भौतिक शरीर के अंदर एक ईथर की तरह एक ऊर्जावान सूक्ष्म शरीर स्थित है। यह “सूक्ष्म शरीर” सभी मनुष्यों के पास होता है। भौतिक जगत के अंदर “सूक्ष्म क्षेत्र” भी होता है जो दूर तक फैला होता है जो भौतिक सीमाओं से परे है जिसमें हम रहते हैं। यदि आप क्रिस्टल उपचार, रेकी, या कुछ प्रकार के ध्यान का अभ्यास करते हैं तो आप अपने ऊर्जावान सूक्ष्म शरीर से परिचित हो सकते हैं। जब कोई सूक्ष्म शरीर को निकालने का अभ्यास करता है, तो वह अपने भौतिक शरीर को पार करके सूक्ष्म शरीर से जुड़ जाता है और मानसिक रूप से पूरे अंतरिक्ष में यात्रा करके कुछ भी पता लगाने में सक्षम हो जाता है।
“एस्ट्रल ट्रैवलिंग द्वारा नए स्थानों का पता लगाने का एक शानदार तरीका है, हालांकि इसको सीखन आसान काम नहीं है लेकिन अभ्यास द्वारा सबकुछ हासिल किया जा सकता है। लौरा ब्राउन ने बताया कि इससे भौतिक शरीर को अलग करके देखा जा सकता है। अपने भौतिक शरीर को थोड़ा छोड़कर कुछ नए और रोमांचक सपनों की दुनिया का पता लगाने के लिए यह शानदार तरीका है।
सूक्ष्म शरीर की यात्रा कैसे शुरू करें ? (How to start the journey of the subtle body?)
जब सूक्ष्म शरीर की यात्रा (Sukshma Sharir ki Yatra) की बात आती है तो कोई एक सही निर्देश पुस्तिका नहीं होती है, क्योंकि सभी के पास एक अनूठा अनुभव होता है – लेकिन इसकी कुछ मूल बातें हैं जिनका पालन करके कोई भी अपने सूक्ष्म शरीर की यात्रा शुरू कर सकता है और सूक्ष्म अंतरिक्ष में पहुंच सकता है। इससे पहले कि आप अपना ईथर बॉडी प्राप्त करें और अपनी सूक्ष्म यात्राएं शुरू करें, कुछ अभ्यास हैं जो पहले मास्टर करने में सहायक होते हैं, जिससे आपको अपनी चेतना के इन ईथर भागों से संपर्क करने में मदद मिलती है।
“इसकी शुरुआत ध्यान के साथ शुरू किया जा सकता है। ब्राउन कहते हैं : “यदि आपके पास पहले से व्यक्तिगत ध्यान अभ्यास नहीं है, तो प्रत्येक दिन अपनी दिनचर्या में से कुछ मिनट मानसिक शांति के लिए निकालना होगा। यदि आपको दिमाग शांत करना मुश्किल है, तो आप क्रिस्टल के साथ ध्यान करने की कोशिश कर सकते हैं।
क्रिस्टल ध्यान के द्वारा आत्म-सम्मोहन का अभ्यास शुरू कर सकते हैं, जिसके दौरान आप एक ट्रान्स जैसी स्थिति में और भी गहराई तक जा सकते हैं। “आत्म-सम्मोहन के माध्यम से, हम सूक्ष्म जगत में जा सकते हैं जहां हम दूसरों के साथ जुड़ सकते हैं।
सूक्ष्म शरीर की यात्रा को शुरू करने के लिए एक और सहायक उपकरण है, जो आपको अधिक समझदारी और नियंत्रित तरीके से चेतना की दूसरी स्थिति के संपर्क में आने में मदद करता है – खासकर यदि आप पहले से ही आध्यात्मिक साधना करते हैं।
एस्ट्रल बॉडी यानि सूक्ष्म शरीर से जुड़ना (Connecting to the Astral Body)
अब जब आप अपने आप को एक गहरी, ध्यानपूर्ण समाधि में ले जाने में सक्षम होते हैं, तो आप अपने सूक्ष्म शरीर के संपर्क में आने के लिए कदम बढ़ा सकते हैं। “ध्यान के दौरान आप अपने सूक्ष्म शरीर को भौतिक से ऊपर और बाहर उठाने की कोशिश करें। ब्राउन कहते हैं कि “एक बार जब आप इसमें महारत हासिल कर लेते हैं, तो अपने भौतिक शरीर को सूक्ष्म शरीर से देख सकते हैं। यह रातोंरात नहीं हो सकता, इसके लिए रोज अभ्यास करते रहें। यदि सूक्ष्म शरीर स्वाभाविक रूप से बाहर नहीं आता है, तो अपने ईथर शरीर की कल्पना करें और इसके साथ सचेत रूप से जुड़ने का प्रयास करें। यदि जुड़ाव हासिल करने के लिए कई ध्यान सत्र लगते हैं तो निराश न हों।
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एक बार जब आप अपने सूक्ष्म शरीर में सुरक्षित महसूस कर लेते हैं, तो आप सूक्ष्म स्तर तक पहुंचना शुरू कर सकते हैं। आप भौतिक दुनिया से असीम मानसिक स्थान तक पहुंच सकते हैं। स्टारडस्ट कहते हैं, “हम अपने सपनों, ध्यान, नियंत्रित श्वास, विज़ुअलाइज़ेशन और अपनी चेतना को छोड़ कर सूक्ष्म शरीर से जुड़ सकते हैं और उसे अपने मन से चला भी सकते हैं।” “जब हम उच्च ध्यान के माध्यम से एक ट्रान्स जैसी ऊर्जा प्राप्त करते हैं, तो हम अपने शरीर के बाहर अंतरिक्ष और समय के माध्यम से यात्रा कर सकते हैं, जहां हम दूसरों के साथ एकजुट हो सकते हैं और परिस्थितियों को एक अलग लेंस से देख सकते हैं। आप अपने ध्यान समाधि के द्वारा नेक इरादे रखकर सूक्ष्म-शरीर द्वारा सूक्ष्म अंतरिक्ष में कहीं भी यात्रा कर सकते हैं और नई ऊर्जा, विचारों और रिक्त स्थानो से जुड़ सकते हैं।
सूक्ष्म शरीर यात्रा शुरू करें (Start the Astral Body Journey)
यदि आप अपने अभ्यास द्वारा इस अवस्था में पहुँच गए हैं, तो आपकी यात्रा शुरू करने का समय हो सकता है। अपने सूक्ष्म शरीर से जुड़ने के बाद आप उसे एक विशिष्ट गंतव्य पर भेजने का इरादा कर सकते हैं। ब्राउन कहते हैं: “सूक्ष्म अंतरिक्ष में लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए प्रवेश करना सबसे अच्छा है, ताकि आप लक्ष्यहीन होकर भटक न जाएं। आपका इरादा एक स्पिरिट गाइड से जुड़ने, अतीत या भविष्य में किसी स्थान पर जाने या भौतिक तल में आपके द्वारा खोजे जा रहे प्रश्नों के आध्यात्मिक उत्तर खोजने का इरादा हो सकता है। याद रखें कि सूक्ष्म शरीर की यात्रा (Sukshma Sharir ki Yatra) करते समय हमेशा सतर्क रहें और बाद में ऊर्जावान सुरक्षा तकनीकों का उपयोग करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपने कोई अजीब, अवांछित कदम तो नहीं उठाया है।
एक बार जब आप सूक्ष्म शरीर की यात्रा में महारत हासिल कर लेते हैं तो आप अपने सूक्ष्म शरीर के माध्यम से कहीं भी यात्रा कर सकते हैं। याद रखें, अभ्यास ही आदमी को परिपूर्ण बनाता है।