Benefits of Milk

दूध में अनेक गुण हैं। जहां दूध एक ओर बाल्यावस्था में शरीर का पोषण कर उसे तंदुरुस्त बना देता है वहीँ दूसरी ओर रोगी मनुष्य को सबल और पुस्ट भी करता है।  परमात्मा ने दूध में सब गुण भर दिये हैं। 

गाय अतिशय सात्विक तथा ममतामई होती है। अतः गाय का दूध भी सात्विक होता है। गाय का दूध पतला होने से जल्दी हजम भी हो जाता है। इससे रस रक्त आदि धातुओं एवं स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है। अच्छे अच्छे विचार तथा अच्छे कामों की और बुद्धि भी प्रवृत्त होती है। इससे परिशुद्ध भावना उत्पन्न होती रहती है। 

खाने में दूध क्यों लिया जाय (Why should milk be included in the diet?)

अन् की अपेक्षा दूध बहुत जल्दी हजम हो जाता है तथा अन्न दिन भर में दो-तीन बार ही दिया जा सकता है किंतु दूध के लिए ऐसा नियम नहीं है। इसे आप हर 2 घंटे के बाद दिन में 4 से 6 बार थोड़ा थोड़ा करके दे सकते हैं। यथा प्रातः काल 6–9-11 बजे, दोपहर में 1-3-4 और रात को 7-9-12 बजे तक साधारणतया दूध दे सकते हैं, अर्थात दूध जब भी चाहे दे सकते हैं परंतु उतना ही दें जितना रोगी अच्छी तरह से पचा सके। बच्चे को सोते से जगाकर कभी दूध नहीं देना चाहिए। 

जिसके शरीर में गर्मी बढ़ी हुई हो और हवा भी गर्म चल रही हो, उसे दूध देना हो तो गर्म दूध को गिलास में भरकर बर्फ या पानी में गिलास रख उसे ठंडा करके देना चाहिए। जाड़े में गर्म दूध ही देना उचित है। अतिरिक्त समय में सुखोष्ण दूध देना हितकर है। ज्यादा मात्रा में एकबारगी दूध देने से पतले दस्त आने लगते हैं। 

कैसा दूध पीना चाहिए (How to Drink Milk) 

खूब गर्म किया तथा मलाई निकाला हुआ दूध सेहत के लिए उत्तम होता है। यदि गाय का दूध ना मिले तो भैंस का दूध (बराबर पानी मिलाकर उबालें पानी जल जाने पर केवल दूध मात्र रह जाए) तब लेना चाहिए। बकरी के दूध से जुलाब नहीं होता है। कफ भी इससे कम बढ़ता है। कफ सूख गया हो या पेट फुला हुआ हो तो गाय का और यदि रोगी शक्तिवान हो तथा हाजमा भी ठीक हो तो भैंस का दूध उपरोक्त विधान से देना चाहिए। 

दूध लेने का प्रमाण (How Much Milk should I Drink)

कमजोर रोगी को हर बार दूध 5 से 10 तोला, मध्यम को 15 से 20 तोला और सशक्त को 20 से 30 टोला तक दूध देना उचित है। इसी प्रकार अशक्त को 8 बार मध्यम को 10 बार और सशक्त को 12 बार दिन-रात में दूध देना चाहिए। अशक्त को एक सेर मध्यम को दो सेर और सशक्त को 4 सेर तक दूध दिन-रात में पिला सकते हैं। यदि दस्त में मल की गुठलियां रुक्ष (सुखी) बन रही हो तो प्रातः और शाम को दूध में तीन माशा घी डाल कर देना चाहिए। इससे मल शुद्ध आने लगेगा। 

दूध पथ्य के बाद अन्न देना (Giving Food after Milk Diet)

यदि दूध देने से भूख खूब लगने लगे, तो पुराने चावलों का भात, ताजा घी और सेंधा नमक मिलाकर देना चाहिए। यह हजम हो जाने पर मूंग की दाल, परवल, कुंदरु, तोरई आदि के रसदार शाक देना ठीक रहेगा। इस तरह अन्न सेवन बढ़ाते जाएं। पानी उबालकर देना चाहिए। सोडा वाटर भी कभी-कभी दे सकते हैं, परंतु बीच-बीच में दूध भी देते रहें। इस तरह की मात्रा बढ़ाते जाएं और दूध की मात्रा कम करते जाएँ, किंतु इसमें शीघ्रता नहीं करनी चाहिए अन्यथा नुकसान होगा। 

दूध के साथ अन्य वस्तुएं (Other items with milk)

यदि दूध ही पथ्य में लेते हो तो उस समय दूध में शक्कर चीनी नहीं डालें, यदि एकाध बार थोड़ी मात्रा में डाली भी जाए तो कोई हर्ज नहीं है। पका हुआ आम, मूंग की पतली दाल, जमीकंद, सूरन आदि भी कभी-कभी ले सकते हैं। अनार, अंगूर, छुआरा, इलाइची, लोंग, कबाब चीनी या मिश्री आदि लेना तथा मुख में रखना भी लाभदायक है।

 दूध से ठीक होने वाले रोग (Diseases cured by milk)

जीर्ण ज्वर, अग्निमांध, तिल्ली, यकृत, जलोदर, रक्त विकार, वातरक्त, गंडमाला, अपस्मार, उन्माद, भ्रम, चक्कर, मुछा, उपदंश, बिष और उससे उत्पन्न सभी प्रकार के दर्द, लकवा, लुलापन, शिर और नेत्र रोग, मस्तक शूल, मूत्राशय के रोग, पांडू, पीलिया, रक्तपित्त, प्यास, क्षय, हृदय रोग, छाती का दर्द, विषरोग, दवाओं की उष्णता, अम्लपित्त, पेटशूल, उल्टियां, जुलाब, पेट फूलना, संग्रहणी, आमांश, दस्त के विकार, मन के विकार, चिंता-फिकर, आदि अनेक रोग केवल दूध के पथ्य से आराम होते हैं।

दूध के साथ अपथ्य पदार्थ (Indigestible matter with milk) 

केला, अनन्नास, जामुन आदि फलों के साथ दूध नहीं लेना चाहिए। पके मीठे बीजू आम के साथ दूध देना अच्छा है। कोदो, मोठ, कुल्थी आदि धान्य के साथ भी दूध नहीं देना चाहिए। मूली, धनिया, लहसुन, उर्द की दाल, दही, इमली, आम की खटाई, अमचूर आदि के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। इन पदार्थों के गुणधर्म दूध के गुण धर्म के विरुद्ध है। अर्थात कुछ चीजें दूध को बिगाड़ देती हैं कुछ चीजें जो सात्विक गुण दूध में रहता है उसको नष्ट भी कर देती हैं। अंग्रेजी मतानुसार लोग दूध के साथ केला, नारंगी आदि फल खाने को कहते हैं। परन्तु वह भी ठीक नहीं है। आप देखेंगे कि दूध में संतरे का रस डालें तो दूध तुरंत फट जाएगा। डॉक्टरों की यह युक्ति की पेट में जाकर फल और दूध शीघ्र हजम हो जाता है, कभी भी मान्य नहीं हो सकती। 

Ref. Ayurved Sar Sangrah (58)

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