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बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि प्याज और लहसुन (Lahsun Aur Pyaj) का जन्म गंदगी से हुआ है, राक्षस के मल से हुआ है इसलिए उसमें तुरंत बहुत गन्दी दुर्गन्ध आती है। अगर कोई खा कर बैठ जाए बगल में तो उसका मुंह बदबू करता है। अगर कोई देवी- देवता हमारे पास आना भी चाहे तो वह दुर्गंध के कारण नहीं आ पाते हैं। इसलिए लहसुन प्याज खाना वर्जित है।  

वेद शास्त्रों के मतानुसार लहसुन और प्याज (Lahsun Aur Pyaj) एक तामसी पदार्थ है और यह शरीर में उत्तेजना को बढ़ावा देता है, इसलिए अध्यात्म के मार्ग पर चलने वालों के लिए बाधाकारक है। हमारे ऋषि-मुनि और साधु-संत इसका सेवन नहीं करते थे। वही आयुर्वेद के मतानुसार हमारे खाद्य पदार्थों को तीन केटेगरी में बांटा गया है – सात्विक, राजसिक और तामसिक। जिसमें लहसुन, प्याज (Lahsun Aur Pyaj) को तामसी पदार्थ माना जाता है। लहसुन, प्याज  राक्षसों के मल से पैदा हुआ है इसलिए इसमें बहुत दुर्गंध होता है और इस दुर्गंध की वजह से तुम्हारे घर में शुद्ध सात्विक देवताओं का वास खत्म होने लगता है, इसलिए अगर घर में देवी-देवताओं का आशीर्वाद और सुख शांति चाहते हैं तो लहसुन और प्याज से परहेज करें। 

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बहुत सारे लोग ऐसा कहते हैं कि लहसुन प्याज (Lahsun Aur Pyaj) तो मिट्टी में पैदा होता है, इसलिए इसमें कोई दोष नहीं है इसे खाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है अगर यह पवित्र पदार्थ होता तो यह हमारे पूजा-पाठ आदि कार्यों में भी प्रयोग होता। लहसुन, प्याज राक्षस के अंश से उत्पत्ति होने के कारण लोग इसे अपने भोजन में शामिल करना पसंद नहीं करते हैं और यह स्वभाव से भी एक तामसी भोज पदार्थ है जिसका पूजा आदि कार्यों में प्रयोग वर्जित है। 

फलाहारी भोजन में कुछ गिने-चुने सब्जियां, सेंधा नमक, कुट्टू या राजगीर का आटा और साबूदाना जैसे पदार्थ आप खा सकते हैं लेकिन लहसुन और प्याज आप उपवास में नहीं खा सकते। हमारे शास्त्रों में इसकी सख्त मनाही की गई है। कई मान्यताओं के अनुसार लहसुन और प्याज (Lahsun Aur Pyaj) एक ऐसा तामसी पदार्थ है, जिससे शरीर में अत्यधिक शारीरिक ऊर्जा और शरीर में अतिरिक्त गर्मी भी पैदा करता है इसलिए किसी भी व्रत में लहसुन और प्याज को खाने से वर्जित किया गया है। इसके अलावा लहसुन को रजोगनी माना जाता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो व्यक्ति को सात्विक मार्ग से हटाकर तामसी मार्ग की तरफ ले जाता है। 

लहसुन और प्याज की उत्पत्ति कैसे हुई ?

भगवान विष्णु ने जब राहु और केतु का सिर काट दिया था, उस समय उनकी सिर निकली कुछ खून की बूंदे जमीन पर गिरी थी। जिससे लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। इन दोनों खाद्य पदार्थों को राक्षसों द्वारा उत्पन्न पदार्थ माना जाता है। इसमें तेज गंध होता है और यह अपवित्र भी होता है, जिसका सेवन सात्विक लोग नहीं करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग लहसुन, प्याज (Lahsun Aur Pyaj) अधिक खाते हैं उनके शरीर में भी राक्षसों की भांति ताकत रहता है, लेकिन उनकी बुद्धि और सोचने समझने की क्षमता भी उन राक्षसों जैसी हो जाती है। 

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