शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, 4-4 तोला, अभ्रक भस्म 2 तोला, शुद्ध कपूर एक तोला, बंग भस्म एक तोला, ताम्र भस्म 6 माशे, लौह भस्म 1 तोला, बिधारा की जड़, जीरा, विदारीकंद, शतावरी, ताल मखाना, बलामूल, कौंच के बीज, अतीश, जावित्री, जायफल, लौंग, भांग के बीज, राल सफेद और अजवाइन प्रत्येक तीन-तीन माशा लेकर जल से घोट कर दो-दो रत्ती की गोलियां बना लें।
मात्रा और अनुपान – एक-एक गोली गाढ़ा करके औंटाये हुए दूध के साथ दें।
गुण और उपयोग – इस रसायन के सेवन से नपुंसकता, नामर्दी, शीघ्रपतन आदि रोग नष्ट होकर काम शक्ति की वृद्धि होती है। यह रसायन सबके सेवन करने योग्य है क्योंकि इसमें अफीम जैसा मादक द्रव्य नहीं है। बिलाशी पुरुषों के लिए जो हमेशा स्तंभक, वाजीकरण संबंधी दवाओं की तलाश में घूमते रहते हैं उनके लिए बहुत ही काम की चीज है। यह बलवर्धक और रसायन भी है।
वीर्य वाहिनी नाड़ियों की कमजोरी शिथिलता से जिनका वीर्य समागम काल में बहुत से गिर जाता है उन्हें इस रसायन का सेवन अवश्य करना चाहिए। यह शुक्र विकार, (वीर्य का पतलापन) दूर कर वीर्य को गाढ़ा कर देता है तथा वीर्य वाहिनी नाड़ियों में खून का संचार कर उसमें दृढ़ता उत्पन्न करता है। स्नायु दुर्बलता के कारण या मानसिक अवसाद के कारण हुए ध्वज भंग दोष को मिटाने में भी या अति उत्तम गुणकारी है।
बिलासी पुरुष अपने छड़ीक आनंद के लिए कभी-कभी बहुत त्रासदायक काम कर बैठते हैं। जिसमें उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाने की संभावना बनी रहती है। यह लोग आवेश में आकर विषाक्त तीला लेप या ऐसी कोई दवा आदि खाकर वीर्य स्तंभन, वाजीकरण करने की व्यर्थ चेष्टा कर बैठते हैं। कभी कभी तो ऐसा देखा गया है कि तिला लगाने से जनेन्द्रिय में फफोले, छाले पड़ जाने से रोगी महीनों तक तकलीफ में पड़े रहते हैं। किसी-किसी को ऐसी दवा के खाने से रक्त दूषित होकर शरीर में फोड़ा निकल आते हैं। यह फोड़े शीघ्र अच्छे होने वाले नहीं होते ऐसे लोगों के लिए यह रसायन नियम पूर्वक रात को सोने से 1 घंटे पूर्व दूध के साथ खाकर पान खा लेने के बाद स्त्री प्रसंग करने से अपूर्व आनंद की प्राप्ति होती है और किसी प्रकार का नुकसान भी नहीं होता। इसको लगातार कुछ अधिक समय तक सेवन करने से इंद्रियों की शक्ति बढ़ना, शरीर में मजबूती प्राप्त होती है।
इसका सेवन करने से शरीर में स्थिरता, मजबूती, कांति आदि रसायन के गुण प्राप्त होते हैं। शरीर को पुष्ट बनाने तथा शक्ति बढ़ाने के लिए इस रसायन का प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से शुक्र बहुत जल्दी बनता है तथा शरीर में रक्त की वृद्धि हो शरीर कांतिवान और पुष्ट हो जाता है। स्त्रियों के श्वेत प्रदर, गर्भाशय की कमजोरी, बीच कोषों की शिथिलता आदि नष्ट होकर उन्हें स्वस्थ एवं गर्भधारण करने योग्य बना देता है।
FAQ.
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