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यदि आप शादीशुदा है या स्टूडेंट लाइफ में है तो आपके लिए यह औषधि बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्टूडेंट लाइफ में अक्सर युवा लड़कों को कुछ ऐसी गुप्त बीमारियां हो जाती है जिसे बताने में उन्हें शर्म आती है और शादीशुदा लोगों को भी इस तरह की बीमारियां हो जाती है। जिसे उनकी मैरिज लाइफ डिस्टर्ब हो जाती है। उन सबके समाधान के लिए यह एक खास औषधि है इसका नाम है “बंगेश्वर रस बृहत”। इसके बारे में पूरा डिटेल आपको नीचे दिया जा रहा है जिसे पढ़कर आप इसका लाभ उठा सकते हैं। 

बंगेश्वर रस की सामग्री (Bangeshwar Ras Ingredients) : बंग भस्म, शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, चांदी भस्म, कपूर, अभ्रक भस्म एक-एक तोला, स्वर्ण भस्म और मोती भस्म तीन-तीन माशे लें। प्रथम पारा गंधक की कजली बनावें, फिर उसमें अन्य औषधियों मिलाकर सबको भांगरे के रस में खरल कर एक-एक रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखा कर रख लें। 

बंगेश्वर रस लेने का तरीका (Bangeshwar Ras Dose) : एक-एक रत्ती की गोली सुबह-शाम मधु के साथ दें। ऊपर से गाय या बकरी का दूध पिला दें । 

बंगेश्वर रस बृहत के फायदे (Bangeshwar Ras Ke Fayde in hindi) : यह रसायन स्वर्ण भस्म, चांदी भस्म, अभ्रक भस्म, मोती भस्म आदि के योग से तैयार किया जाता है। इसके सेवन से नए पुराने सब प्रकार के प्रमेह रोग (Prameh Rog) अच्छे होते हैं। मूत्रकृक्ष, बहुमूत्र, मूत्रमेह, मूत्रातिसार, वीर्य की क्षीणता, टट्टी पेशाब के साथ वीर्य जाना, स्वप्नदोष और शुक्रस्राव से उत्पन्न मंदाग्नि, आम दोष, अरुचि, हलीमक, रक्तपित, ग्रहणी दोष, मूत्र और वीर्य दोष आदि सभी प्रकार के रोग नष्ट होते हैं। यह रसायन वाजीकरण, आयु, बल, वीर्य, कांति वर्धक और दुर्बलता नाशक है। 

आजकल लोगों के चित में चंचलता के कारण मानसिक उत्पाद बढ़कर वीर्यवाहिनी नाडियों में विक्षोभ पैदा हो जाता है जिसके कारण स्वप्नदोष (Swapan Dosh) की समस्या उत्पन्न हो जाता है। धीरे-धीरे इस रोग से धातुओं का प्रतिलोम क्षय होकर रोगी निस्तेज, ज्वर, दाह, खांसी, दिल की धड़कन, कोष्टबद्धता, अंग-प्रत्यंगों में दर्द तथा थकावट से पीड़ित रहता है। ऐसी स्थिति में इस रस को प्रवाल भस्म और शुद्ध शिलाजीत के साथ देने से स्वप्नदोष नष्ट होकर उत्तरोत्तर धातुएं पुष्ट हो जाती हैं और वह व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ एवं बल और कांतियुक्त हो जाता है। 

नोट : कोई भी दवा लेने से पहले किसी योग्य चिकित्सक की  जरूर सलाह लें। 

स्वप्नदोष से कैसे बचें (How to Cure Night Discharge)

जो लोग शरीर का वीर्य हाथ से या किसी और गंदे तरीके से नाश कर देते हैं, वह अपने ही हाथों अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारते हैं। क्योंकि शरीर का राजा वीर्य होता है और जब राजा ही कमजोर होगा तो प्रजा क्या करेगी। शरीर का सातवा धातु वीर्य होता है इसको बनने में बहुत समय लगता है। आदमी ठीक से 40 दिन भोजन करता है तो 2 टोला वीर्य बनता है। जिससे शरीर में बल और स्फूर्ति कायम रहता है। शरीर का सार तत्व है वीर्य। हमारे ऋषि-मुनि इस बात को अच्छी तरह समझते थे, इसलिए उन्होंने ब्रह्मचर्य पर विशेष जोर देते थे। जिस देश में भोग और वासना अधिक बढ़ जाता है उस देश की पूरी नीव कमजोर हो जाती है। 

स्वप्नदोष को रोकने वाला ब्रह्मचर्यासन (Swapnadosh Rokne Wala Brahmcharyasan) 

साधारणतया योगासन भोजन के बाद नहीं किए जाते परंतु कुछ ऐसे आसन है जो भोजन के बाद भी किए जाते हैं। उन्हीं आसनों में से एक है ब्रह्मचर्यासन। यह आसन रात्रि भोजन के बाद सोने से पहले करने से विशेष लाभ होता है। ब्रह्मचर्यासन के नियमित अभ्यास से ब्रह्मचर्य पालन में खूब सहायता मिलती है अर्थात इसके अभ्यास से अखंड ब्रह्मचर्य की सिद्धि होती है। इसलिए योगियों ने इसका नाम ब्रह्मचर्यासन रखा है। 

विधि : जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं। तत्पश्चात दोनों पैरों को अपनी-अपनी दिशा में इस तरह फैला दें कि नितंब और गुदा का भाग जमीन से लगा रहे। हाथों को घुटनों पर रखें और शांति से बैठे रहें। 

लाभ : इस आसन के अभ्यास से वीर्य वाहिनी नाडी का प्रवाह शीघ्र ही उर्ध्वगामी हो जाता है और सिवनी नाड़ी की उष्णता कम हो जाती है। जिससे यह आसन स्वप्नदोष (Swapandosh) आदि बीमारियों को दूर करने में लाभकारी सिद्ध हुआ है। जिन व्यक्तियों को बार-बार स्वप्नदोष होता है उन्हें सोने से पहले 5 से 10 मिनट तक इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इससे उपस्थ इंद्रिय में काफी शक्ति आती है और एकाग्रता में भी वृद्धि होती है। 

प्रश्न : अगर उपरोक्त उपायों बावजूद भी स्वप्नदोष (Swapandosh) होता हो तो क्या करें ?

उत्तर : सावधानी बरतने पर भी वीर्यपात का कष्ट हो तो चिंतित न हों  बल्कि दृढ निश्चय से अधिक सावधानी बरतें। भागवत प्रार्थना करो। “ॐ अर्यमायै नमः।” मंत्र का जप करो। सर्वांगासन करके योनि को सिकोड़ लो (मूलबन्ध करो) और श्वास को बाहर निकालते हुए पेट को अंदर की ओर की ओर खींचो। कुछ समय श्वास को बाहर ही रोके रखो और भावना करो कि मेरा वीर्य ऊर्ध्वगामी हो रहा है। इस प्रयोग से ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी। चित्र में दिखाया अनुसार ब्रह्मचर्य आसन सोने से पहले 5 से 10 मिनट करो। 

स्वप्नदोष से बचाव के उपाय (Swapnadosh Se Bachne Ka Upay)

  1. “ॐ अर्यमायै नमः” मंत्र का सोने से पूर्व 21 बार जप करने से बुरे सपने नहीं आते। 
  2. सोने से पहले तर्जनी उंगली से तकिए पर अपनी माता का नाम लिखकर सोने से बहुत लाभ होता है। 
  3. आंवले के चूर्ण में चौथाई हिस्सा (25%) हल्दी चूर्ण मिलाकर रखें। 7 दिन तक सुबह शाम यह मिश्रण 3 से 4 ग्राम लेने से चमत्कारी लाभ होता है। इसके सेवन से 2 घंटे पूर्व व पश्चात दूध न लें। 

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