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महर्षि वात्सायन का कामसूत्र लिखने का उद्देश्य मनुष्य को काम वासना की आग में झोंककर रोगी और कम आयु का बनाना नहीं था, बल्कि उसे स्वस्थ और संयमी बनाकर मोक्ष प्राप्ति के तरफ अग्रसर करना था। उन्होंने कामसूत्र को इसलिए लिखा कि मनुष्य को जिस काम को करने से मना किया जाता है उसी काम को वह करने और जानने कोशिश में लगा रहता है। कहा गया है कि आदमी जहां से गिरता है उसे वहीं से ऊपर उठना पड़ता है। 

मनुष्य की उम्र 100 साल निर्धारित की गई है। अपने इस पूरे जीवन को सुखी और सही रूप से चलाने के लिए ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और सन्यास आश्रम नाम के चार भागों में बांटकर धर्म, अर्थ और काम का साधन संपादन, इस प्रकार से करना चाहिए कि मोक्ष प्राप्ति का साधन बन सके।  इस संसार के सभी मनुष्य लंबे जीवन, आदर, ज्ञान, काम, न्याय और मोक्ष की इच्छा रखते हैं। सिर्फ वेदों की शिक्षा ही ऐसी है जो मनुष्य के लंबे जीवन की सुविधा को दृष्टि में रखकर, सभी व्यक्तियों को इन इच्छाओं में विवेक पैदा कराकर और बराबर अधिकार दिलाकर सबको मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। 

आचार्य वात्सायन ने शतायुर्वे (100 वर्ष की आयु वाले) पुरुष लिखकर इस बात को साफ किया है कि कामसूत्र का मकसद मनुष्य को काम वासना की आग में झोंककर रोगी और कम आयु का बनाना नहीं बल्कि निरोगी और विवेकी बनाकर 100 साल तक की उम्र प्राप्त कराना है। 

लंबी जिंदगी जीने के लिए सबसे पहला तरीका सात्विक भोजन को माना गया है। सात्विक भोजन में भी फल, दूध, दही आदि को शामिल किया जाता है। अगर कोई मनुष्य अपने रोजाना के भोजन में इन चीजों को शामिल करता है तो वह हमेशा स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकता है। सात्विक भोजन के बाद मनुष्य को लंबी जिंदगी जीने के लिए पानी, हवा और शारीरिक श्रम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रोजाना सुबह उठकर ताजी हवा में घूमना बहुत लाभकारी रहता है। इसके साथ ही खुले और अच्छे माहौल में रहने और शारीरिक मेहनत करने से भी स्वस्थ और लंबी जिंदगी को जिया जा सकता है। 

इसके बाद लंबी जिंदगी जीने के लिए स्थान आता है जहाँ दिमाग को हरदम तनाव से मुक्त रख सकें। बहुत से लोग होते हैं जो अपनी पूरी जिंदगी चिंता में ही घुलकर  बिता देते हैं। चिंता और चिता में सिर्फ एक बिंदु का ही फर्क है होता है, लेकिन इनमें भी चिंता को चिता से बड़ा माना गया है, क्योंकि चिता तो सिर्फ मरे हुए इंसानों को जलाती है लेकिन चिंता तो जीते जी इंसान को रोजाना जलाती रहती है। इसलिए अपने आप को जितना हो सके चिंता मुक्त रखो तो जिंदगी को काफी लंबे समय तक जिया जा सकता है। 

इसके बाद लंबी जिंदगी जीने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी होता है। योग शास्त्र के अनुसार – ब्रह्मचर्य प्रतिष्ठायां वीर्यलाभः अर्थात ब्रह्मचर्य का पालन करके ही वीर्य को बढ़ाया जा सकता है और वीर्य से शारीरिक शक्ति का विकास होता है। वेदों में कहा गया है कि बुद्धिमान और विद्वान लोग ब्रह्मचर्य का पालन करके मौत को भी जीत सकते हैं। 

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सदाचार को ब्रह्मचर्य का सहायक माना जाता है। जो लोग निष्ठावान, नियम-संयम, सम्पन्नशील, सत्य तथा चरित्र को अपनाए रहते हैं। वही लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए लंबी जिंदगी को प्राप्त करते हैं। सदाचार को अपनाकर कोई भी मनुष्य अपनी पूरी जिंदगी आराम से 100 साल तक जी सकता है। 

कोई भी बच्चा जब ब्रह्मचारी अपनाकर अपने गुरु के पास शिक्षा लेने जाता है तो  वह चार महत्वपूर्ण बातें सीखता है : कई प्रकार की विद्याओं का अभ्यास करना, वीर्य की रक्षा करके शक्ति का संचय करना, सादगी के साथ जीवन बिताने का अभ्यास करना, रोजाना संध्या उपासना, स्वाध्याय तथा प्राणायाम का अभ्यास करना। भारतीय आर्य सभ्यता की इमारत इन्हीं 4 खंभों पर निर्भर है। 

ब्रह्मचर्य जो की उम्र का पहला चरण है जब परिपक्व हो जाए तो मनुष्य को शादी कराकर  गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करके अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष का संपादन करना चाहिए। यहां पर वात्सायन इस बात का संकेत करते हैं कि अर्थ, धर्म तथा काम का उपयोग किस प्रकार किया जाए कि आपस में तालमेल बना रहे और एक दूसरे के प्रति विघ्नकारी साबित न हो। 

एक बात तो बिल्कुल साफ है कि अगर सही तरह से ब्रह्मचर्य का पालन किया जाए तो गृहस्थ आश्रम अधूरा, क्षुब्ध और असफल नही रहता है। इसी वजह से हर प्रकार की स्थिति में हर आश्रम में पहुंचकर उसके नियमों का पालन विधि से करने पर कामयाबी मिलती है। 

ब्रह्मचर्य जीवन को गृहस्थ आश्रम से जोड़ने का अर्थ यही होता है कि वीर्य रक्षा, सदाचारण, शील, स्वाध्याय को जीवन में अपनाकर मोक्ष की प्राप्ति की जा सके।   अगर ब्रह्मचर्य आश्रम का संपादन सही तरह से किया गया है तो गृहस्थ आश्रम में दांपत्य जीवन अकलुश आनंद तथा श्रेय प्रेय का संपादक बन सकता है। गृहस्थ आश्रम को धर्म-कर्म पूर्वक बिताने पर वानप्रस्थ का साधन शांति से और बिना किसी बाधा के हो सकता है और फिर वानप्रस्थ की साधना सन्यास आश्रम में पहुंचकर मोक्ष प्राप्त करने में मदद करती है। 

FAQ.:

सौ साल तक जिंदा कैसे रहे ? 100 sal Tak Jinda Kaise Rahe ? 

महर्षि वात्सायन के कामसूत्र का उद्देश्य क्या है ? Kamsutra ka uddeshy kya hai ? 

100 साल तक निरोग कैसे रहें ? 100 saal tak nirog kaise rahen ? 

ब्रह्मचर्य से शक्ति का संचय। Brahmachary se shakti ka sanchay. 

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