तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान है, अत्यंत उपयोगी औषधि है. मात्र इतना ही नहीं, यह तो मानव जीवन के लिए अमृत है. यह केवल शरीर के स्वास्थ्य के दृष्टि से ही नहीं बल्कि धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यावरणीय एवं वैज्ञानिक आदि विभिन्न दृष्टियों से भी बहुत महत्वपूर्ण है.
एक ओर जहाँ चरक संहिता, शुश्रुत संहिता जैसे आयुर्वेद के ग्रंथों, पद्म पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्म वैवर्त आदि पुराणों तथा उपनिषदों एवं वेदों में भी तुलसी की महिमा एवं उपयोगिता बताई गयी है. वहीं दूसरी ओर यूनानी, होमियोपैथी एवं Allopaithy चिकित्सा पद्धति में भी तुलसी एक महत्वपूर्ण औषधि मानी गयी है तथा इसकी खूब सराहना की गयी है.
विज्ञान ने विभिन्न शोधों के आधार पर माना है कि तुलसी एक रोगणूरोधी, तनावविरोधी, दर्द निवारक, मधुमेहरोधी, ज्वारनाशक, कैंसर नाशक, चिंता निवारक, अवसाद रोधी, विकिरण रक्षक है. तुलसी इतने सारे गुणों से भरपूर है कि इसकी महिमा अवर्णनीय है. पद्म पुराण में भगवान शिव कहते हैं “तुलसी के सम्पूर्ण गुणों का वर्णन तो बहुत अधिक समय लगाने पर भी नहीं हो सकता.”
अपने घर में, अपने आस पड़ोस में अधिक से अधिक संख्या में तुलसी के पौधे लगाना व लगवाना मानो हजारों लाखों रुपयों का स्वास्थ्य खर्च बचाना है. पर्यावरण रक्षा करना है.
हमारी संस्कृति में हर घर आंगन में तुलसी लगाने की परंपरा थी. संत बिनोबा जी भावे की माँ बचपन में उन्हें तुलसी को जल देने के बाद ही भोजन देती थीं. पाश्चात्य अंधानुकरण के कारण जो लोग तुलसी की महिमा को भूल गए, अपनी संस्कृति के पूजनीय वृक्षों, परंपराओं को भूल भूलते गए और पाश्चात्य परम्पराओं व तौर तरीकों को अपनाते गए, वे लोग चिंता, तनाव, अशांति एवं विभिन्न शारीरिक, मानसिक विमारियों से ग्रस्त होते गए.
इस घोर नैतिक पतन से व्यथित होकर पूज्य संत देवराहा बाबा ने प्रेरणा दी कि तुलसी, पीपल, आँवला, नीम – इन चार लाभकारी वृक्षों के रोपण का अभियान चलाया. प्रतिदिन तुलसी को जल देकर उसकी परिक्रमा करें. तुलसी पत्रों का सेवन करें. प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाएं.
तुलसी की महत्ता जन जन तक पहुँच सके और लोग इसका लाभ लें सकें इस उद्देश्य से मैं यह आर्टिकल लिख रहा हुँ.
तुलसी की महत्ता (Tulsi ki Mahtta)
तुलसी का पौधा ओजोन वायु छोड़ता है. ओजोन वायु वातावरण के जीवाणु, विशाणु, फफूँदी आदि को नष्ट करके ऑक्सीजन O2 में रूपांत्रित हो जाती है. तुलसी उत्तम प्रदुषण नाशक है.
गुणों की खान है तुलसी (Guno Ki Khan Hai Tulsi)
तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृस्टियों से महत्वपूर्ण है. यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है. हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में भगवान के प्रसाद में तुलसी दल का प्रयोग होता है. जहाँ तुलसी के पौधे होते हैं, वहां की वायु शुद्ध और पवित्र रहती है. तुलसी के पत्तों में एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणु युक्त वायु को शुद्ध करता है. तुलसी की गंधयुक्त वायु से मलेरिया के कीटाणुओं का नाश होता है. तुलसी में एक विशिष्ट क्षार होता है. जो दुर्गन्ध को दूर करता है. जिसके मुँह से दुर्गन्ध आती हो वह रोज तुलसी के पत्ते खाये तो मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है.
तुलसी के विभिन्न नाम (All Name of Tulsi)
वनस्पति शास्त्र की भाषा में इसे ओसिमम सेंकटम (Ocimum Sanctum) कहा जाता है. तुलसी को विष्णुप्रिया, सुरसा (जिसका रस सर्वोत्तम हो), सुलभा (सरलता से उपलब्ध हो), बहुमंजरी (बहुत सारी मंजरियां लगती हैं), ग्राम्या (गावों में अधिक होनेवाली तथा घर घर में लगायी जाने वाली), अपेतराक्षसी ( दर्शन मात्र से राक्षस एवं राक्षसों जैसे पांप भाग जाते हैं), शूलघनी ( शूल अर्थात दर्द अन्य रोगों का नाश करनेवाली), देवदनंदुभी (देवों के लिए आनंददायक) आदि नामों से गौर्वान्वित किया गया है.
तुलसी के प्रकार (Tulsi ke Prakar)
1. राम तुलसी ( हरे पत्ते वाली 2. कृष्ण तुलसी ( काले पत्तेवाली). औषधि के रूप में प्रायः कृष्ण तुलसी का उपयोग किया जाता है.
तुलसी के गुण-धर्म (Tulsi Ke Gun-Dharm)
आयुर्वेद के अनुसार तुलसी कड़वी, तिक्त, उष्ण, कफ -वातशामक, कृमि – दुर्गन्ध नाशक, जठराग्नि वर्धक, रक्त शोधक, हृदयतेजक तथा पित्त वर्धक है.
तुलसी अनेक रोगों की रामबाण औषधि है. पदम् पुराण में लिखा है कि संसार भर के फूलों और पत्तों से जितने भी पदार्थ व दवाइयाँ बनती हैं, उनसे जितना आरोग्य मिलता है, उतना ही आरोग्य तुलसी के आधे पत्ते से मिल जाता है.
तुलसी देती है आरोग्य लाभ व सुख शांति
जिसकी तुलना संभव न हो ऐसी तुलसी का नाम अतिशय उपयोगिता को सूचित करता है. विश्व मानव तुलसी के अद्भुत गुणों का लाभ लेकर स्वस्थ, सुखी, सम्मानित जीवन की ओर चले और बृक्षों के अंदर भी उसी एक परमात्म सत्ता को देखे व आपने भावों को दिव्य बनाये – इस लोकहितकारी उद्देश्य से कई देशों में तुलसी पूजन दिवस भी मनाया जाता है. तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्यबल व आरोग्य बल बढ़ता है. मानसिक अवसाद, आत्म हत्या आदि से रक्षा होती है और समाज को सूक्ष्म ऋषि विज्ञान का लाभ मिलता है.
शास्त्रों में वर्णित तुलसी महिमा (Tulsi ki Mahima)
अनेक व्रत कथाओं, धर्मकथाओं, पुराणों में तुलसी महिमा के अनेक आख्यान हैं. भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की कोई भी पूजा विधि तुलसी दल के बिना परिपूर्ण नहीं मानी जाती.
पद्म पुराण के अनुसार : – “जो दर्शन करने पर सारे पाप समुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है प्रणाम करने पर शरीर के रोगों का निवारण करती है. जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है.
(पद्म पुराण उ. खंड, 56.22)
- तुलसी के निकट जो भी मन्त्र स्तोत्र आदि का जप पाठ किया जाता है, वह सब अनंतगुना फल देनेवाला होता है.
- प्रेत, पिशाच, ब्राह्मराक्षस, भूत, दैत्य आदि सब तुलसी के पौधे से दूर भागते हैं.
- ब्रह्म हत्या आदि पाप तथा पाप और खोटे विचार से उत्पन्न होनेवाले रोग तुलसी के सामिप्य एवं सेवन से नष्ट होते हैं.
- श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है.
- तुलसी के नाम उच्चारण से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
- तुलसी ग्रहण करके मनुष्य पातकों से मुक्त हो जाता है.
- जो तुलसी पत्ते से टपकता हुआ जल अपने सर पर धारण करता है, उसे गंगा स्नान और 10 गोदान का फल प्राप्त होता है.
- जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसी दल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है.
- कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है.
- कैसा भी पापी, अपराधी व्यक्ति हो, तुलसी की सुखी लकड़िया उसके शव के ऊपर, पेट पर, मुँह पर थोड़ी सी बिछा दें और तुलसी की लकड़ी से अग्नि शुरू करें तो उसकी दुर्गति से रक्षा होती है. यमदूत उसे नहीं ले जा सकते.
- गरुड़ पुराण ( धर्म खंड – प्रेत कल्प 38.11) में आता है कि तुलसी का पौधा लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर बिनष्ट हो जाते हैं.
- ब्रह्म वैवर्त पुराण (प्रकृति खंड :21.43)में आता है कि मृत्यु के समय जो तुलसी पत्ते सहित जल का पान करता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में जाता है.
- स्कन्द पुराण के अनुसार : “जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है (एवं प्रतिदिन पूजन होता है), उसमे यमदूत प्रवेश नहीं करते.”
- बासी फूल एवं बासी जल पूजा के लिए वर्जित है परन्तु तुलसी दल एवं गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं है. (स्कन्द पुराण, वै ख. मा. मा., 8,9)
- घर में लगायी हुई तुलसी मनुष्यों के लिए कल्याणकारी, धन, पुत्र प्रदान करनेवाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देनेवाली होती है. प्रातः काल तुलसी का दर्शन करने से सवा ग्राम स्वर्ण दान करने का फल प्राप्त होता है. (ब्रह्म वैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण जन्म खंड : 103, 62-63)
- अपने घर से दक्षिण क़ी ओर तुलसी वृक्ष का रोपण नहीं करना चाहिए, अन्यथा यम यातना भोगनी पडती है. (भविष्य पुराण)
- तुलसी क़ी उपस्थिति मात्र से हलके स्पन्दनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है.
दरिद्रता नाशक है तुलसी (Daridrata Nashak Hai Tulsi)
1. इशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से तथा पूजा के स्थान पर गंगा जल रखने से बरकत होती है.
2. तुलसी को रोज जल चढ़ाने से, तथा गाय के घी का दीपक जलाने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है.
3. जो दारिद्रय मिटाना व सुख सम्पदा पाना चाहता है उसे तुलसी पूजन दिवस के अवसर पर शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे क़ी 108 परिक्रमा करनी चाहिए.
* श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृंदा वन्ये स्वाहा. इस दशाक्षर मन्त्र के द्वारा विधि सहित तुलसी का पूजन करने से मनुष्य को समस्त सिद्धि प्राप्त होती है.
तुलसी की जानकारी हिंदी में (tulsi information in hindi)
तुलसी का वानस्पतिक नाम एवं कुल (Botanical name and family of Tulsi)
तुलसी के नुकसान (Disadvantages of Basil)
तुलसी का आर्थिक महत्व (Economic importance of basil)
सुबह खाली पेट तुलसी खाने के फायदे (Benefits of eating basil empty stomach in the morning)
तुलसी के फायदे और नुकसान (Benefits and harms of Tulsi)
तुलसी का उपयोग कैसे करें (how to use basil)
तुलसी के फायदे (benefits of Tulsi)