Kambal Wale Baba ki Hakikat

क्या वास्तव में कंबल वाले बाबा लोगों को ठीक कर देते हैं ? क्या कंबल वाले बाबा के कंबल में कोई जादुई चमत्कार है ? कंबल वाले बाबा के बारे में लोगों का क्या कहना है ? Kya Hai Blanket Treatment Method?


कंबल वाले बाबा सारी बीमारियों का उपचार कैसे करते हैं। उनके इलाज करने का तरीका क्या है वह सारा इस आर्टिकल के माध्यम से मैं बताऊंगा। बाबाजी जगह-जगह कैंप लगाते हैं और उस कैंप में काफी लोग दूर दूर से आते हैं। उन्हें 5 से 6 दिन रुकने के लिए बोला जाता है। इस कैंप में ऐसे ऐसे मरीज आते हैं जो चल नहीं सकते हैं, सुन नहीं सकते हैं, जिन को कैंसर है, लकवा है वह सब आते हैं। बच्चे बूढ़े सब आते हैं। महाराज जी का 2 घंटे का शेषन चलता है उसके बाद 15-20 मिनट आराम करते हैं। इसी तरह ढाई घंटे का सेशन फिर से, फिर ब्रेक, यह सिलसिला रात तक चलता रहता है। बीमारियां तो बहुत तरह की है, लेकिन बाबा जी लगभग सभी बीमारियों को ठीक करते हैं। इनके पास लकवा से लेकर, कैंसर वाले रोगी भी आते आते हैं। बाबा जी ने हजारों लोगों को ठीक किया है। 

बाबा जी लोगों को कैसे ठीक करते हैं ? (Kambal Wale Baba Ka Treatment)

बाबाजी के सिर पर काली पगड़ी है और उनके पास एक काला कंबल रहता है। इसी से बीमारियों को ठीक करते हैं। बाबाजी मूल रूप से गुजरात के रहनेवाले हैं। लेकिन बाबा जी का कैंप काफी जगह पर लग चुका है और वह घूम घूम कर शहर और राज्य में अपना कैंप लगाकर लोगों का इलाज करते हैं। कंबल वाले बाबा को हर राज्य के लोग जानते हैं। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर कैम्प लगा चुके है। हर कैंप में बाबा जी के पास भारी संख्या में लोग आते हैं। बाबा जी से जब पूछा गया कि ईलाज करने का तरीका क्या है, आपको यह विद्या कैसे प्राप्त हुआ ? तो बाबा जी ने बताया यह माता जी की कृपा से मुझे सिद्धि मिली है। माताजी का मेरे ऊपर आशीर्वाद है। लोग कहते हैं कि बाबा जी के कंबल के अंदर कोई शक्ति है, वह कंबल जैसे ही किसी के ऊपर घूमती है आदमी का बीमारी ठीक हो जाता है। 

बाबा जी यह बताइए आपको कंबल कहां से मिली ? बाबा जी ने बताया इसे माता जी ने दिया है और इसे हमने मंत्र से सिद्ध किया है। यही सब कुछ है । मैं तो एक सामान्य आदमी हूँ। मैं भगवा कपड़ा नहीं पहनता, कमंडल और जटा भी नहीं रखता। मेरे पास मेरा चदरिया और मेरा कम्बल है। माता जी का आशीर्वाद इसी के अंदर है। इसी से लोग ठीक होते हैं। 

बाबा जी से पूछा गया कि आपको यह कंबल कैसे मिली ? बाबा जी ने बताया जब मैं छोटा था, सुन नहीं सकता था, बोल नहीं सकता था। हम भरवाड समाज से हैं, कोई यादव बोलता है, कोई गुर्जर बोलता है, कोई मेरा नाम लेकर गणेश जी पुकारता है। मैं गुजरात से हूं। मुझे यह कंबल एक आम के झाड़ से मिली है और मुझे माता जी ने आशीर्वाद दिया था कि यह कंबल किसी के ऊपर ओढ़ा देगा तो वह ठीक हो जाएगा। आज मेरे को कम से कम 32 साल हो गए। यह 33वां  साल चल रहा है। मैं सुबह से शाम तक यही काम करता हूं।

कंबल वाले बाबा का पता (Kambal Wale Baba Address)

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बाबा जी से पूछा गया कि आपका बचपन कहां गुजरा है ? बाबा जी ने बताया जब  मैं 4 साल का था तब मेरे गुरु जी ने मेरे को कामाख्या आश्रम में लेकर गए थे। वही जाकर माताजी प्रसन्न हुई और यह सिद्धि मिली। यह सिद्धि गुरु जी ने प्राप्त करवाई है। गुरु जी ने आशीर्वाद और श्राप दोनों दिया था कि जब तक लोगों की सेवा करेगा तब तक मां काली तेरे साथ रहेगी और जिस दिन तुम लोगों का 1 रूपये भी लेने लगेगा, उस दिन तेरी सिद्धि चली जाएगी। मैं आज तक किसी का 1 रुपया भी नहीं लेता हूँ। यहां हजारों आदमी आते हैं, दान पेटी में लोग पैसे डालते हैं और उसी से सारा भंडारा होता है। उसी से लोगों को खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की जाती है। 

आपका जन्म कहां हुआ है ? आपके माता पिता और भाई सब कहां हैं? हम चार भाई हैं और एक बहन है। पापा जी तो स्वर्गवास हो गए। मैं जिला सुरेंद्रनगर, तहसील – लत्तर और कणाद गांव गुजरात का रहने वाला हूँ। 

आपको यह कंबल कहां से मिला ? मुझे यह कंबल गांव से 1 किलोमीटर दूर एक माताजी का मंदिर है वही आम के पेड़ पर मिला। किसी को नहीं पता है कि यह मंदिर कौन सी माता जी का है। मैं उसको अपना कुलदेवी मानकर भक्ति करने लगा। वहीं से यह कंबल मिली है। 

यह कंबल कामाख्या से लौटने के बाद मिला या पहले ? यह पहले ही मिल गया था। मेरे को कोई कुछ समझता नहीं था। गुरुदेव को बात समझ में आ गया होगा। इसलिए वह मुझे कामाख्या लेकर चले गए। उन्होंने कहा चल मैं तेरे को बहुत सारी विद्या सिखाऊंगा। मैं छोटा था, मेरे मम्मी पापा की कामाख्या जाने देने इच्छा नहीं थी। फिर गांव वालों ने मेरी मम्मी पापा को बोला कि यह बहुत अच्छे सिद्ध संत हैं इनके साथ अपने बच्चे को जाने दो तब उन्होंने जाने दिया। 

बाबा जी से पूछा गया बाबा जी आप गुजरात के हैं तो सबसे पहले इलाज की शुरुआत आपने कहां से की ? उन्होंने बताया कि मेरा सबसे पहला कैंप मेरे गांव में हुआ। वहां से एमपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़,  कर्नाटक और राजस्थान में कैंप लगाया। 

बाबा जी से पूछा गया कि बाबा जी आप शहर के शहर घूमते रहते हैं आप एक जगह कहीं ठिकाना क्यों नहीं बना लेते ? तो बाबा जी ने बताया कि एक औरत महाराष्ट्र से मेरे पास आई थी और वह अपने हस्बैंड के इलाज के लिए अपने गहने बेचकर आई थी। इसलिए मैंने सोचा कि लोगों का पैसा खर्च न हो और मैं शहर के शहर  जाकर कैंप लगाकर लोगों का इलाज करता हूँ। 

बाबा जी के पास 3 – 4 बड़े-बड़े आश्रम भी हैं। जिसे लोगों ने बना कर दिया है। बाबा जी ने बताया कि एक हैदराबाद का आदमी था। उसकी बच्ची करीब 15 साल की थी और वह बचपन से कभी चल-फिर नहीं रही थी। उसे मेरे पास लाया था और मैंने उसको ठीक कर दिया। उससे खुश होकर वह लोगों को इलाज के लिए कैंप करवा रहा है। सारा खर्चा उठा रहा है। 

बाबाजी से पूछा गया कि आप छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा दिन तक रुके, उसका क्या कारण था ? बाबा जी ने बताया कि वहां सब अच्छे लोग थे। वहां पर बहुत सारे लोग हमारे एंटी भी हो गए थे। बहुत ज्यादा मुझे दुश्मन मिल गए थे ? इसलिए मैं वहां पर और ज्यादा दिन तक लोगों का इलाज करता रहा। उन्होंने कहा जब तक तुम्हारा कोई विरोध नहीं करेगा ? जब तक तुम्हारी किसी से दुश्मनी नहीं होगी तब तक तुम आगे नहीं बढ़ सकते। इसलिए इतना विरोध होने के बावजूद भी मैं वहां डटा रहा और लोगों को इलाज करके दिखाया। 

उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ के लोगों ने सोचा बाबाजी किसी के शरीर पर कभी मुक्का मारते हैं कभी कुछ करते हैं इससे बीमारी ठीक नहीं होती है। लोग और बीमार होते हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। 

बाबा जी का कहना है कि मैं आज भी छत्तीसगढ़ हिंदू महासभा का प्रदेश अध्यक्ष हूं और मेरा काम है हिंदुत्व को जगाना। मेरे 6 लाख हिंदू महा सभा के मेंबर हैं। मुझे नेतागिरी से कुछ मतलब नहीं है। हिंदुत्व को संगठीत करना यह मेरा दायित्व है। मैं हिंदू हूं और हिंदुत्व की रक्षा करूंगा। बाबा जी ने कहा कि बिना परिश्रम का कुछ नहीं मिलता। तुम दिन-रात परिश्रम करो भगवान तुमको सब कुछ देगा। उन्होंने एक दोहा भी सुनाया –

खुद ही को कर बुलंद इतना कि खुदा खुद बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है। 

बाबा जी से पूछा गया कि आपको अपनी शक्ति का आभास कैसे हुआ ? आपका पहला मरीज कौन था ? बाबा जी ने बोला मैं चार-पांच साल का था और हम लोग गोली खेलते थे। मेरा एक दोस्त था, उसके पिताजी को लकवा मार दिया था और मैंने उसे बोला कि मैं तुम्हारे पिताजी को ठीक कर सकता हूँ। तो उसने बोला चल रहने दे तू कैसे मेरे पिताजी को ठीक कर सकता है। तो मैं डरते डरते उसके पिताजी के ऊपर अपना कंबल डाला और सोच रहा था पता नहीं ठीक होगा कि नहीं। लेकिन थोड़ी देर में मैंने देखा वह ठीक हो गये । जब उस लड़के का बाप धीरे-धीरे ठीक होकर चलने लगा तो वह अपने घर से बाहर निकल कर चिल्लाने लगा। देखो मेरे पिताजी को गणेश ने ठीक कर दिया। ऐसे सारे लोग इकट्ठे हो गए और धीरे-धीरे यह सिलसिला चल पड़ा। 

बाबा जी से पूछा कि आप एक कैम्प में कितने लोगों का इलाज कर देते हैं ? बाबा जी ने बताया कभी-कभी तो 2 लाख तक लोग आ जाते हैं। हर कैंप में 10000-15000 के करीब लोग आ जाते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि 8-10 हजार आदमी कंटिन्यू रहते हैं। जब भंडारा होता है तो उसके हिसाब से हम अंदाजा लगाते हैं। अगर एक कुंटल पूडी बनी है 1000 आदमियों ने खाया है। इस तरह 3 कुंतल पूड़ी बनी तो 3000 लोगों ने खाना खाया। ऐसा कैलकुलेशन हम कर लेते हैं। 32 साल से फ्री में भंडारा चल रहा है। 

बाबा जी से पूछा गया कि क्या आपने शादी भी की है आपके बच्चे भी हैं ? मेरी एक लड़की है 6 साल की है। यूट्यूब पर आपने देखा होगा। मेरी बच्ची जब 3 साल की थी तब से मैंने उसको मंत्र सिखाना चालू किया। अभी तो 6 साल की हो गई है। अभी वह मेरे जैसे कार्यक्रम कर लेती है। वह करने आई भी थी। उसने कल कम से कम 10-20 आदमी को ठीक किया था। मेरे पास इलाज करवाने के लिए पांच बार आना पड़ता है लेकिन मेरी बच्ची एक बार में ही ठीक कर देती है। मेरे को हजारों लोग गुरु मानते हैं लेकिन मैं अपने को किसी का गुरु नहीं मानता। क्योंकि मैं भरवाड़ जाति का हूं। हम किसी को शिष्य नहीं बनाते। अगर लोग गुरु माने तो वह उनकी मर्जी है। मेरी बच्ची को कम से कम 800 मंत्र याद है जिससे बीमारियों को ठीक किया जाता है। मेरे पास तो 16000 बीमारियां दूर करने का मंत्र है लेकिन मेडिकल साइंस के पास तो 3000 बीमारियों का भी इलाज नहीं है। 

बाबा जी का कहना है मैं चद्दर ओढ़ा कर लोगों के शरीर के पुरे नश खोल देता हूं और मंत्र द्वारा कहीं पर भी कोई दिक्कत होती है तो उसे दूर करता हूं। 

कंबल वाले बाबा का कांटेक्ट नंबर क्या है ? (kambal Wale Baba ji ka contact number) मैं आपको बता दूं अभी तक बाबा जी का कोई कांटेक्ट नंबर नहीं प्राप्त हुआ है जिसे हम ऑनलाइन उजागर कर सकें। 

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