जी, हां ! डायबिटीज ठीक हो सकता है, पर हमें उसके लिए बहुत सावधानी रखनी होगी और यह सावधानी हमें लाइफटाइम रखना होगा। तभी हम इस बीमारी से निजात पा सकते हैं। इस बीमारी को बुखार जैसा ही मान सकते हैं, जिस प्रकार बुखार होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है और ठीक होने पर दुबारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें बुखार दुबारा नहीं होगा। दुबारा बुखार न हो इसके लिए हमें सावधानी रखनी पड़ती है। उसी तरह डायबिटीज होने के बाद हमें अपने भोजन और रहन-सहन के बिगड़े हुए तालमेल को ठीक करना होगा। अगर हम इस तालमेल को ठीक कर लेते हैं तो पुनः हमारा डायबिटीज ठीक हो जाएगा।
अगर आपको ऊपर बताया गया कारण ठीक से समझ में आ गया है तो अब आप एलोपैथी दवा ले रहे हैं तो उसके साथ-साथ अपने खानपान और जीवन शैली में बदलावकर कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय कर डायबिटीज को कंट्रोल करें। मेरा मानना है कि अगर आपका भा (HbA1C – 6.5) है तो दवा लेने कि आपको कोई आवश्यकता नहीं है। जब यह काफी बढ़ा हुआ हो तब थोड़े दवा लेकर अपने जीवन शैली को बदल कर इसे कंट्रोल करना चाहिए। क्योंकि मैंने खुद अपनी जीवन शैली में बदलाव कर डायबिटीज को तीन-चार महीने के अंदर ठीक कर ली थी। अब मैं जी भर कर अपने पसंदीदा मिठाइयों को भी खाता हूं और मेरा डायबिटीज ठीक रहता है।
डायबिटीज के लिए जीवन शैली में बदलाव (lifestyle Changes for Diabetes)
मधुमेह से पीछा छुड़ाने के लिए मैंने जो अपने जीवन से सीखा है और जो उसमें बदलाव किया है, वह बहुत कामगार साबित हुआ है। इसे मैं आप सब लोगों के साथ साझा कर रहा हूं।
सामान्य तौर पर मधुमेह शारीरिक श्रम न करना और मानसिक तनाव के कारण होता है। क्योंकि मैं एक क्लर्क और दिन भर कुर्सी पर बैठा रहता था। जिसकी वजह से मुझे डायबिटीज की बीमारी हो गई थी। मैंने इसको ठीक करने के लिए रोज सवेरे 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलना चालू किया और 5 से 20 किलोमीटर साइकिल की सवारी करना भी अपने दैनिक जीवन चर्या में शामिल किया।
3 महीने तक सख्ती से इन नियमों का पालन किया
- सुबह उठते ही मैं मेथी का पानी पीता था।
- अपने आहार से सफेद चीनी को बिल्कुल हटा दिया।
- अपने भोजन में कम मीठे वाले फल-फ्रूट और भरपूर सलाद को शामिल किया।
- शाम को 7:00 बजे तक हल्का भोजन कर लेता था। रात में रोटी और चावल बिल्कुल बंद कर दिया। सोने से थोड़ा पहले मैं एक गिलास दूध लेता था।
- मैंने ठान लिया कि रात के 10:00 बजे के बाद मुझे जागना नहीं है, इसलिए मैं रात को 10:00 बजे हर हाल में सो जाता था। जिससे मुझे 8 घंटे की पूरी नहीं मिल सके।
- योगा क्लास शुरू करके योगा करने लगा।
- मैंने अपने जीवन में कुछ महत्वपूर्ण कदमों को उठाया, जिसमें गुस्सा और तनाव पर लगाम लगाया। मेरा मानना है कि मधुमेह की बीमारी होने में गुस्सा और तनाव का ही बड़ा हाथ था। गुस्सा और तनाव हमारे स्वसन प्रक्रिया को प्रभावित करता है और बिगड़ी हुई श्वसन प्रक्रिया से हमारी जठराग्नि मंद हो जाती है।
मैं अपने अगल-बगल जितने भी डायबिटीज के मरीज को देखता हूँ, वह सब पारिवारिक, व्यवसायिक या खालीपन के तनाव से गुजर रहे होते हैं या अपने को दूसरों से तुलना करके हमेशा कुंठित रहते हैं। इस वजह से 80 परसेंट बिमारी तो दिमाग की उपज है और केवल 20% जीवनशैली से जुड़ी हुई होती है।
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उपरोक्त सभी कारणों को आप समझ कर ठीक करने का प्रयास करें। जितना ज्यादा आपके दिमाग में उलझन और तनाव रहेगा आपके दिमाग को विश्राम नहीं मिलेगा। आपके पाचन तंत्र को भोजन पचाने का समय नहीं मिल पाता है, इसलिए इसे भी कुछ विश्राम दे (हो सके तो अपनी क्षमता अनुसार उपवास भी करें) और अपने दिमाग पर नियंत्रण करने का प्रयास करें।
हो सके तो साल में 6 -7 बार तीर्थाटन पर भी निकल जाए। इससे भी अच्छा है कि आप शहर में रहते हैं तो गांव में जाकर वहां की जीवन शैली को कुछ दिन अपना कर देखें। इससे भी आपका सारा रोग ठीक हो सकता है। आशा है उपरोक्त तरीकों को अपनाकर आप ठीक होने का प्रयास करेंगे।
डॉयबिटीज के लिए महत्वपूर्ण जानकारी (Important Information for Diabetes)
कई लोग ऐसा मानते हैं कि डायबिटीज पेनक्रियाज द्वारा इंसुलिन नही बना पाने के कारण होता है, पर यह पूरी तरह सत्य नहीं है। क्योंकि डायबिटीज दो तरह का होता है Type 1 और Type 2 Diabetes। टाइप वन डायबिटीज में शरीर इंसुलिन नहीं बनाता है और इसका कोई इलाज भी अभी तक नहीं है। इसके लिए बाहरी इंसुलिन लेना ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन जिस मधुमेह कि मैं बात कर रहा हूं वह है Type 2 Diabetes। इसमें अधिकांश यह होता है कि शरीर इंसुलिन तो बनाता है पर उसका उपयोग शरीर नहीं कर पाता है। टाइप टू डायबिटीज (Type 2 Diabetes) किसी को एक दिन में नहीं होता है और नहीं एक दिन में ठीक हो सकता है।
सबसे बड़ी बात है कि टाइप टू डायबिटीज पैक्ड फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, जंक फ़ूड, रेडीमेड आइटम और ज्यादे तला-भुना खाने और कम परिश्रम करने से होता है। यही सब इसके प्रमुख कारण है। इसलिए कम उम्र के लड़कों को भी बहुत ज्यादा तादाद में डायबिटीज हो रहा है। पैक्ड फूड और बिना भूख के खाना खाते रहने से शरीर को जरूरत से ज्यादा इंसुलिन बनाना पड़ता है जिससे कुछ समय बाद यह इंसुलिन सेल आपस में दबकर छोटे हो जाते हैं और किसी काम के नहीं रहते हैं।
अगर आपको डायबिटीज टाइप 2 (Type 2 Diabetes) की बीमारी है तो 24 घंटे में तीन बार खाना खायें। बीच में कुछ भी हल्का-फुल्का खाना नहीं खाना है। केवल आपको पानी पीना है। 3 महीने में आपके शरीर के इंसुलिन की यूटिलाइजेशन सही हो जाएगा और आपका डायबिटीज बिल्कुल खत्म हो जाएगा।