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यहां दिए गए ‘माया चक्र’ को ध्यान पूर्वक देखें। इसमें चित्र के अलावा आपको कुछ दिखाई नहीं देगा, पर जब आप इसे धीरे-धीरे गोलाकार हिलाएंगे तो आपको इसमें घड़ी के कांटे के समान कुछ हिलता-डुलता नजर आएगा। घड़ी के कांटे के समान हिलता यह भाग कहां से आ गया। यह केवल माया भ्रम है। आकृति में यह चक्र के समान है। इसका नाम “माया चक्र” है। हिप्नोटिज (Hypnotism) में यह बड़ा काम करता है। अगर इस पर कुछ देर तक ध्यान लगाया जाए तो आदमी को नींद आने लगती है। यही इस माया चक्र की विशेषता है। इस माया चक्र को सर्वप्रथम पश्चिम के डॉक्टर वेल्विन पावर नामक प्रसिद्ध हिप्नोटिस्ट ने बनाया था। 

वेल्डिंग पावर्स ने इस माया चक्र को “Powers Hypnotist Spiral” नाम दिया था। यह 12 इंच व्यास का बनाया गया था। इसके बीचो-बीच ग्रामोफोन के रिकॉर्ड की तरह छेद किया जाता है फिर उसे रिकॉर्ड के स्थान पर रख दिया जाता है। वह घूमने लगता है। घूमने के कारण उस पर ध्यान केंद्रित करने पर नाना प्रकार की आकृतियां बनती बिगड़ती दिखाई देती है और इसे देखने वाले को नींद आने लगती है। लेकिन नींद से नहीं घबराना है रोज एक घंटा इस प्रयोग को करना है। यह प्रयोग खाना खाने के 4 घंटे बाद सुबह या शाम को करना है। 40 दिन के अंदर आपको इसका फायदा दिख जाएगा। 

इस यंत्र का प्रयोग आत्म सम्मोहन (Self Hypnosis) के लिए किया जाता है। इस माया चक्र का प्रभाव ऐसा होता है कि एक से बढ़कर एक चमत्कारी कार्य कर सकते हैं। इसको सिद्ध करने के बाद आप किसी का भी भूत भविष्य वर्तमान बता सकते हैं। आत्म सम्मोहन को हमारे मुनियों ने समाधि की संज्ञा दी है। आत्म-सम्मोहन एक अद्भुत अलौकिक शक्ति है। आत्म सम्मोहन की दशा में आपका तादात्म्य अलौकिक जगत से हो जाता है। मृत्युलोक से आपका संबंध समाप्त हो जाता है। 

आप सम्मोहित होकर देखें। सम्मोहित होने पर आप स्वयं को समाधि की दशा में पाएंगे। आत्म सम्मोहन वास्तव में एक अद्भुत पराशक्ति है। इससे आप बड़े बड़े चमत्कारी कार्य कर सकते हैं। 

माया चक्र द्वारा आत्म सम्मोहन कैसे करें (Self Hypnosis through Maya-Chakra)

माया चक्र द्वारा आत्म सम्मोहित (Self Hypnosis) होना अत्यंत सरल है। आराम कुर्सी पर अपना शरीर ढीला छोड़ दें और अपलक माया चक्र को देखें। कुछ समय बाद आप नींद में झूमने लगेंगे, आप स्वयं को एक विचित्र कल्पना लोक में पाएंगे। आपको विचित्र की अनुभूतियां होने लगेंगी। आत्म सम्मोहन की इस दशा में थोड़ा सा अभ्यास कर ले तो आप अपने किसी मित्र, परिचित या किसी परिजन को प्रत्यक्ष देख सकते हैं कि वह इस समय क्या कर रहा है। थोड़े अभ्यास के बाद जिनके आपसे आत्मीय संबंध हैं उन्हें भी आप देख सकते हैं। माया चक्र की सहायता से आप स्वयं को इतना अभ्यस्त कर ले कि फिर आपको माया चक्र की आवश्यकता न पड़े। आप बिना माया चक्र के भी स्वयं को संभावित कर सकें। 

वस्तुत आत्म सम्मोहन समाधि की ही दूसरी अवस्था है। इस अवस्था में तन समाधि की अवस्था में रहता है और मन सक्रिय रहता है और तन पर होने वाले विपरीत प्रभावों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि आत्म सम्मोहन की दशा में ही समाधि की ओर उन्मुख होते थे। जिसके कारण विपरीत मौसमों का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। आपने लोगों को दहकते अंगारों पर चलते देखा होगा। कुछ लोगों को अपने शरीर पर जंजीरे मारते देखा होगा। उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। आत्म सम्मान की दशा में शरीर पर जो प्रहार होते हैं उनका उन लोगों को अनुभव ही नहीं होता है। आत्म सम्मोहन (Self Hypnosis) की स्थिति के बाद अवश्य उनको पीड़ा का अनुभव होता है। अतः इस पीड़ा से मुक्ति के लिए वे अपना आत्म सम्मोहन बराबर बनाए रखते हैं। फिर पीड़ा काल समाप्त होने पर आत्म सम्मोहन से बाहर निकलते हैं। 

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सामान्य दशा में हमारी पेशियां जीवंत रहती हैं, जबकि आत्म सम्मोहन (Self Hypnosis) की दशा में पेशियाँ निर्जीव हो जाती हैं। यह कैटेलेप्सी की दशा है। अन्य शब्दों में यह समाधि की दशा भी कहलाती है। यह दशा एक प्रकार की शीत निद्रा होती है। शीत निद्रा में तन निष्क्रिय हो जाता है। तन से मन का संबंध विच्छेद हो जाता है। यह समाधि की परमावस्था है। 

नींद में यदि आपको सुई चुभोई जाए अथवा गर्म पानी डाला जाए तो आप हड़बड़ाकर उठ बैठेंगे। पर आत्म सम्मोहन की शीत निद्रा के कारण आपको कुछ पता नहीं चलता है। मन अनंत में खो जाता है। अनंत में खोए इस मन पर नियंत्रण कर आप बहुत कुछ देख सकते हैं। संजय ने इसी तरह की मन के माध्यम से धृतराष्ट्र को महाभारत का आंखों देखा हाल सुनाया था। 

सम्मोहन के लिए आत्म सम्मोहन सीखना पहली आवश्यकता है। आत्म सम्मोहन (Self Hypnosis) समाधि की उच्च अवस्था है। माया चक्र से आप सहजता से आत्म सम्मोहित हो परमावस्था को प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में सफल होने के लिए अनवरत अभ्यास करते जाइए। सफलता आपके कदम चूमेगी। असफलता से घबराइए मत। यह ध्यान रखिए कि असफलता तभी मिलती है जब आप प्रयास पूरी ईमानदारी से नहीं करते हैं। 

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