जीवन में महान कैसे बनें

तुम भारत के भविष्य, विश्व के गौरव और अपने माता-पिता की शान हो। तुम्हारे भीतर बीज रूप में ईश्वर का असीम सामर्थ्य छुपा हुआ है। जिन्होंने भी अपनी सुसुप्त योग्यताओं को जगाया वे महान हो गए। इतिहास के पन्नों पर उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया। वे संसार में अपनी अमिट छाप छोड़ गए और मरकर भी अमर हो गए। वास्तव में, इतिहास उन चंद महापुरुषों और वीरों की गाथा है, जिनमें अदम्य साहस, संयम, शौर्य और पराक्रम कूट-कूट कर भरा हुआ था। तुम्हारे भीतर भी यह शक्तियां बीज रूप में पड़ी है। अपनी इन शक्तियों को तुम जितने अंश में विकसित करोगे, उतने महान हो जाओगे। 

आज जो भी संत महात्मा हैं, अच्छे ईमानदार नेता और समाज के अग्रणी हैं। वह भी पहले तुम्हारे जैसे ही बालक थे, परंतु उन्होंने दृढ़ संकल्प, पुरुषार्थ और संयम का अवलंबन लेकर अपने व्यक्तित्व को निखारा और आज लाखों के प्रेरणा स्रोत बन गए। महापुरुषों के मार्गदर्शन में चलकर व उनके दिव्य जीवन से प्रेरणा पाकर तुम भी महान हो जाओ। 

हे युवानों ! अगर तुम चाहते हो महान कैसे बने (Mahaan Kaise bane) तो संसार में ऐसी कोई वस्तु या स्थिति नहीं है जो संकल्प बल और पुरुषार्थ के द्वारा प्राप्त न हो सके। पूर्ण उत्साह और लगन से किया गया पुरुषार्थ कभी व्यर्थ नहीं जाता। 

प्यारे भाइयों-बहनों ! तुम जो बनना चाहते हो, उसके लिए आवश्यक सामर्थ्य  तुम्हारे भीतर ही विद्यमान है पर वह सुसुप्त अवस्था में पड़ा है। उसे जगा कर तुम सफलता की बुलंदियों को छू सकते हो। 

तुम वर्तमान में चाहे कितने भी निम्न श्रेणी के विद्यार्थी क्यों न हो, लेकिन इंद्रिय संयम, एकाग्रता, पुरुषार्थ और दृढ़ संकल्प के द्वारा आगे चलकर उच्चतम योग्यता प्राप्त कर सकते हो। इतिहास में ऐसे कई दृष्टांत देखने को मिलते हैं। 

पाणिनि नाम का एक बालक पहली कक्षा में वर्षों तक नापाश (अनुतीर्ण) ही होता रहा। कहां तो वर्षों तक पहली कक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाला बालक, ठान लिया तो अपने दृढ़ संकल्प, पुरुषार्थ, उपासना और योग के अभ्यास से संस्कृत व्याकरण “अष्टाध्यायी” का विश्व विख्यात रचयिता बन गया। 

अपनी उन्नति में बाधक दुर्बलता के विचारों को जड़ से उखाड़ फेंको। उनके मूल पर ही कुठाराघात करो। 

अपनी मानसिक शक्तियों को नष्ट करने वाली बुरी आदतों तंबाकू, गुटके के व्यसनों और टीवी चैनलों के भड़कीले कार्यक्रमों में समय बिगाड़ना, फिल्में देखना, वीडियो गेम आदि से आंखें बिगाड़ना – यह अपना पतन आप आमंत्रित करना है। हलके संघ का त्याग, सत-शास्त्रों का अध्ययन, सत्संग श्रवण, ध्यान, सरस्वत्य मंत्र का जप – यह बुद्धि शक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत उपयोगी साधन हैं । तुम्हारा भविष्य तुम्हारे ही हाथों में है। तुम्हें महान, तेजस्वी व श्रेष्ठ विद्यार्थी बनना हो तो अभी से दृढ़ संकल्प करके त्याज्य चीजों को छोड़ो और जीवन विकास में उपयोगी मूल्यों को अपनाओ। हजार बार फिसल जाने पर भी फिर से हिम्मत करो… । विजय तुम्हारी ही होगी। 

कदम अपने आगे बढ़ाता चला जा…… शाबाश वीर ! शाबाश ! भारत के लाल दीनता-हीनता के विचारों को कुचल डालो। 

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