डायबिटीज में धूप की उपयोगिता (Use of sunlight in diabetes)
टाइप-1 डायबिटीज रोगियों की संख्या सर्वाधिक है। यहां धूप एवं डायबिटीज, विशेषकर टाइप-1 की आबादी में विपरीत या प्रतिलोम (संबंध) है।
देश अनुसार टाइप-1 डायबिटीज की घटनाएं 2013 में प्रति हजार बच्चों पर, 0 से 14 आयु वर्ष के बच्चों के नए मामले (स्रोतः इंटरनेशनल डायबिटीज पफाउंडेशन) निःसंदेह कुछ अपवाद भी हैं। जैसे कि कुवैत में भरपूर धूप होती है। किंतु कुवैत उन देशों में शामिल है, जहां डायबिटीज रोगियों का प्रतिशत सर्वाधिक है। इसके पीछे उनकी जीवनशैली प्रमुख कारण हैं।
परंपरा अनुरूप वे अपने पूरे शरीर (सिर से पांव तक) को कपड़ों से ढके रहते हैं, जिससे शरीर को बहुत धूप मिलती है, यहां तक कि उनके घरों में खिड़कियां भी नहीं होती हैं। उनके आसपास शॉपिंग प्लेस, मनोरंजन स्थलों सहित सभी जगह वातानुकूलित हैं। फलस्वरूप यहां डायबिटीज रोगियों की बड़ी संख्या है। स्मरण रहे कि धूप विटामिन डी के स्रोत से कहीं अधिक है। विटामिन डी सप्लीमेंट लेना इसका समाधन नहीं है। अपितु यह शरीर में विटामिन डी के विषैलेपन को बढ़ाकर शरीर में ब्लड शुगर की सामान्य स्थिति को असंतुलित कर देगा।
पशु-वसा/तेल एक पौधे, जैसे कि पफलों या सब्जियों से थोड़ी सी वसा या चिकनाई लें और चिकन, मीट, अंडे या दूध् आदि से थोड़ी सी वसा लें तथा इन्हें माइक्रोस्कोप से देखें। तो आपको पौधे से प्राप्त वसा असमान आकार-प्रकार की दिखाई देगी. अब जरा कल्पना करें कि आपके पास दो भिन्न प्रकार के कुंदे हैं, एक जो बिलकुल सीध है और दूसरा थोड़ा मुड़ा व विषम आकार का, तो बताएं कि कौन-से कुंदे परस्पर एकसमान चिपकेंगे?
निश्चित रूप से, सीधे कुंदे ही सही तरह से परस्पर चिपकेंगे, जबकि मुड़ा व विषम आकार के कुंदे इतनी
सरलता से परस्पर समान रूप से नहीं चिपक पाएंगे। हमारे शरीर में आण्विक मॉलिम्यूलर स्तर पर यही व्यवस्था
होती है।
औद्योगिक स्तर पर तैयार एवं पशु वसा बड़ी अच्छी तरह से एक दूसरे से आसानी से चिपक जाता है। इस तरह से
वे रक्त वाहिकाओं की अंदरूनी सतह पर इकट्ठा होकर चिपक सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनमें रुकावट होती
है और इसके पफलस्वरूप हार्ट अटैक होता है। औद्योगिक स्तर पर बनी एवं पशु वसा शरीर के किसी भी हिस्से में
संचित हो सकती है और जिगर ;लीवर, मस्तिष्क एवं अग्नाशय कोशिकाओं, पैन्क्रिया सेल्स को क्षतिग्रस्त कर
हृदय रोग व गुर्दे ;किडनी फेल होने का कारण बन सकता है। जबकि, अपनी विषम आकृति के कारण
पौधें से प्राप्त वसा रक्त धरा में सुगमता से प्रवाहित होती है और रक्त वाहिकाओं को अवरु( किए बिना अपनी
मंजिल तक पहुंचती है।
मधुमेह में हंसना-एक अचूक औषध (Laughing in diabetes – a surefire medicine)
हंसना एक अचूक औषधि हो सकती है। जब आप हंसते हैं, तो कुछ असामान्य घटित होता है। कब तक हंसने पर कितना लाभ
1 मिनटः हार्मोन उत्पादन में संतुलन आरम्भ।
2 मिनटः ;तनावकारी हार्मोन में कमी से आपको प्रसन्नता होगी।
3 मिनटः दर्द में कमी की शुरुआत।
4 मिनटः ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगेगा।
5 मिनटः ब्लड शुगर में कमी और पाचन तंत्र में सुधार।
6 मिनटः सीखने की क्षमता में वृद्धि के लिए मस्तिष्क के दोनों हिस्सों का उत्तेजित होना तो अब तय करें कि अकारण भी रोजाना 6 मिनट हंसेंगे। बिना किसी कारण के हंसने की विधि जाननी हो तो मेरे वेबसाइट – https://www.freedigitaldesignstocks.online/ पर जाएं
प्रेशर की दवाएं भी लेते हैं।’ मोटे तौर पर पिछले 3 दशकों में आयोजित ट्रायल के समस्त चिकित्सा प्रमाणों से निष्कर्ष निकलता है कि, ‘डायबिटीज, हाइपरटेंशन या कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएँ – तीनों में से किसी का भी सेवन से शेष दो मापदंडों की सामान्य स्थिति बिगड़ जाती है।’आप मेरी पुस्तक ‘लास्ट डेज ऑपफ डायबिटीज’ में इन ट्रायल्स के बारे में पढ़ सकते हैं। तो डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कोलेस्ट्रॉल की दवा न लेना तथा डीआईपी डाइट आरंभ करना, डायबिटीज की रोकथाम की दिशा में पहला कदम है, जिसके विषय में आप इस पुस्तक में आगे पढ़ेंगे।
बॉडी क्लॉक कैसे काम करता है (How Body Clock Works)
अधिकांश प्राणियों की तरह मनुष्य को भी रात में नींद आती है। रात में मस्तिष्क को ज्यादा शांति प्रदान करने
वाले हार्मोन्स का स्त्राव ज्यादा होता है। इस प्रकार दिन के समय हमारा पाचन तंत्रा एवं चयापचय ;मेटाबॉलिज्म
अपने चरम पर होता है, इसलिए हमें सूर्यास्त के पश्चात्भो जन नहीं करना चाहिए। हम सभी के शरीर में एक छिपी
बॉडी क्लॉक होती है। यह इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि अधिकतर हार्ट अटैक सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर
के बीच होते हैंऋ इसी प्रकार से, मध्य रात्रि से लेकर सुबह 6 बजे के बीच अस्थमा के सबसे ज्यादा आघात होते ह
इस आधुनिक युग में, अनियमित जीवनशैली द्वारा बॉडी क्लॉक को असंतुलित करना डायबिटीज का प्रमुख कारण है। इसलिए, अपने सोने का समय निर्धरित करें। प्रतिदिन नियमित समय पर भोजन एवं व्यायाम करें। इससे आपके शरीर को, ;इंसुलिन सहितद्ध विभिन्न प्रकार के हार्मोन्स निर्माण की पूर्व योजना द्वारा, स्वयं को बेहतर तरीके से तैयार करने में मदद मिलेगी और वह डायबिटीज एवं जीवनशैली संबंधी अन्य रोगों से बचा रहेगा।
रिपफाइंड/पैक्ड फूड से दूर रहें (Stay away from refined/packaged food)
सभी रिपफाइंड एवं पैक्ड पफूड ;प्रसंस्कृत एवं डिब्बाबंद खाद्यपदार्थ को डेड पफूड यानी मृत भोजन कह सकते हैं।
इसमें आवश्यक खनिज भी कम होते हैं। परिणामस्वरूप, जब ये शरीर में प्रवेश करते हैं तो इनक्रिटिन हार्मोन द्वारा भेजे गए संकेतों को समझ नहीं पाते हैं। तत्पश्चात् वे सीधे रक्त वाहिकाओं में आकर रक्त की सामान्य स्थिति को अव्यवस्थित करते हैं और डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल आदि को जन्म देते हैं। यह सड़क पर दौड़ते वीआइपी वाहनों की तरह है, जो यातायात संकेतों की अनदेखी करते हैं, लालबत्ती जंप करते हैं, पूरी यातायात व्यवस्था में बड़ी अव्यवस्था पफैलाते हैं, पफलस्वरूप आम जनता को बहुत असुविध होती है।
पाचनतंत्रा में पहुंचने पर रिपफाइंड पफूड भी वीआईपी की तरह व्यवहार करते हैं। इसलिए रिपफाइंड या पैक्ड फूड को वीआईपी फूड कहा जा सकता है। यदि आप डायबिटीज से बचना चाहते हैं, तो इनसे अधिक-से-अधिक दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
डायबिटीज में पौधें से प्राप्त प्रोटीन लें (Take plant protein in diabetes)
मनुष्य के बीमार पड़ने का सबसे बड़ा कारण मांसाहार यानी एनिमल फूड खाना है। इसमें मुर्गी, मछली, अंडे, सी-फूड एवं दुग्ध् उत्पाद शामिल है। मांसाहार का सेवन न करने से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है, और यह बातपिछली एक शताब्दी में किए विभिन्न मेडिकल ट्रायल्स सेसाबित हो चुकी हैः
यहां, कुछ अनजान एवं अल्पज्ञानी लोगों के बीच पफैली प्रमुख भ्रांतियां दी गई हैं। वे सोचते हैं किः
1. यदि हम मांस-मछली खाना छोड़ देंगे तो शरीर को प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा कहां से मिलेगी।
2. यदि हम दुग्ध् उत्पाद खाना छोड़ देंगे तो शरीर को कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा कहां से मिलेगी।
अब मेरा उत्तर सुनिएः यह सच है कि मीट या चिकन में पौधें से प्राप्त प्रोटीन से ज्यादा प्रोटीन होता है और
दूध् कैल्शियम का सबसे बड़ा स्रोत है। यहां सवाल यह नहीं होना चाहिए कि किसी खास भोज्य पदार्थ में कितना प्रतिशत प्रोटीन या कैल्शियम अथवा कोई अन्य पोषक तत्व मौजूद है। बल्कि सवाल यह होना चाहिए
कि इनमें से कितना पचने योग्य है। जैसे कि बालों या नाखूनों में सबसे ज्यादा मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, किंतु
कोई भी पशु इन्हें नहीं खाता है क्योंकि ये पचने योग्य रूप में नहीं होते हैं। इसी तरह, लकड़ी में भी बड़ी मात्रा में
कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, किंतु कोई भी इसे नहीं खाता है, क्योंकि यह भी पचने योग्य रूप में नहीं होती है।
तो अब तार्किक सवाल यह है किः-
किस भोजन में पचने योग्य प्रोटीन एवं कैल्शियम की सबसे ज्यादा मात्रा पाई जाती है?
तो इसका जवाब है पौधें से कच्चे रूप में प्राप्त भोजन में यहां तक कि हाथी-घोड़े भी केवल पौधें को ही खाते हैं,
जिन्हें धरती के सबसे मजबूत पशुओं के रूप में जाना जाता है।