- खतना क्या होता है और कैसे होता है? Khatna kya hota hai aur yah kaise hota hai?
- खतना कराने से क्या फायदा है ? Khatna karane Se Kya fayda Hai?
- खतना कितने दिन में ठीक होता है? Khatna Kitne Din Mein theek Hota Hai?
- खतना क्यों और कैसे किया जाता है ? Khatna Kyon aur kaise kiya jata hai?
कुछ ऐसे समुदाय हैं जो अपने स्वार्थ के लिए स्त्रियों के गुप्तांग से खिलवाड़ करते हैं। उनके लिए औरतें केवल मात्र एक भोग भोगने का साधन हैं और कुछ नहीं। जब उनके समुदाय में कोई लड़की 3 से 4 साल की हो जाती है तो उसका खतना किया जाता है। खतना एक ऐसी असहनीय पीड़ा और दर्द का नाम है जिसे सुनकर आदमी का रूह कांप जाता है, फिर भी जबरदस्ती खतना की जाती है। इन समुदायों में यह प्राचीन समय से प्रथा चली आ रही है इस वजह से हर स्त्रियों को इस खतना जैसी जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। स्त्रियों का खतना करने से उन्हें तो बहुत दर्द और पीड़ा होती है लेकिन उनके समुदाय के पुरुषों को इससे लाभ होता है। क्योंकि खतना कर देने से उनके अंदर सेक्सुअल डिजायर नही पैदा होता है कि वह किसी दूसरे व्यक्ति से संबंध न स्थापित कर सकें।
जब पुरुषों का खतना होता है तो उनके गुप्तांग का केवल बाहरी हिस्सा ही थोड़ा सा काटा जाता है जिससे उनके प्राइवेट पार्ट पर कोई विशेष असर नहीं होता है। उनकी सारी इच्छाएं वैसे ही जागृति रहती हैं जैसे एक आम इंसान में होना चाहिए। लेकिन खतना किए गए स्त्रियों की जब शादी हो जाती है तो उनके अंदर काम वासना पैदा नहीं होती है लेकिन पुरुषों के अंदर तो 24 घंटे वासना हावी रहती है, जिसकी वजह से उनके लिए स्त्रियां मात्र एक भोग का साधन बनकर रह जाती हैं।
खतना या महिला परीक्षेदन किसे कहते हैं ? (Female Genital Mutilation)
यह एक बहुत ही क्रूर प्रथा है। जिसे कुछ समुदाय अभी भी अपनाते हैं। वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि यह स्त्रियों के लिए बहुत दर्दनाक और घातक प्रथा है। इसलिए यह प्रथा अभी तक खत्म नहीं हुआ है।
WHO के रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 20 करोड़ लड़कियों को इस क्रूर प्रथा से गुजारना पड़ा है और 2030 तक करीब 46 लाख लड़कियों पर यह खतरा अभी भी मड़रा रहा है। अभी भी बहुत सारे समुदाय और धर्म के लोग हैं जो खतना के बारे में कुछ नहीं जानते कि खतना क्या है ? (What is female genital mutilation) लड़कियों के जननांगों को काटकर उसे विकृत कर देने की परंपरा को खतना कहा जाता है। इस प्रक्रिया में स्त्रियों के बाहरी गुप्तांग को इसलिए काट दिया दिया जाता है कि उन्हें सेक्सुअल डिजायर न पैदा हो। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस प्रक्रिया के द्वारा स्त्रियों के प्राइवेट पार्ट को बिना किसी मेडिकल कारण के नुकसान पहुंचाना इस श्रेणी में आता है। यह प्रक्रिया बच्चियों और महिलाओं को शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक नुकसान भी पहुंचाता है। साथ ही इस प्रथा के समर्थकों की मानसिकता कि इससे कोई स्वास्थ्य लाभ होता है यह पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद है।
यह लोग खतना करने का निम्न कारण बताते हैं :-
1. इससे अंगों की सफाई ठीक से होगी और फंगस का कोई खतरा नहीं रहेगा।
तर्क यह लोग ऐसे देते हैं जैसे आदमी बिना नहाए और बिना साबुन लगाए ही जिंदगी जीने वाला है।
2. कैंसर नहीं होगा, ब्लड प्रेशर ठीक रहेगा, एड्स की बीमारी नहीं होगी।
तर्क देते हैं कि फलाना वैज्ञानिक ने इस पर रिसर्च की थी।
3. भगांकुर और लेबिया स्त्रियों में अनावश्यक उत्तेजना बढ़ाता है ?
जिसके कारण लड़कियों का कम उम्र में शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा नहीं उठती है यानी खतना करने से न रहेगी बांस और न बजेगी बांसुरी है। यह लोग ऐसा सोचते हैं।
4. औरतें पति के न रहने पर गैर मर्द से शारीरिक संबंध न बना सकें।
यदि पुरुष युद्ध पर चला जाए या नौकरी पर चला जाए तो पति की अनुपस्थिति में कामोत्तेजना के कारण कोई भी स्त्री किसी पराए पुरुष के साथ संबंध न स्थापित कर सके, इसलिए खतना कराया जाता है।
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इन तर्कों को सुनकर यह समझना मुश्किल नहीं है कि औरतों को दबाकर केवल उनको भोग का साधन बनाना ही पुरुषों का मकसद था। इस प्रथा की वजह से लड़कियों को एक असहनीय पीड़ा, टेटनस और बांझपन के खतरे से गुजरना पड़ता है। कई छोटी लड़कियां इसकी असहनीय पीड़ा की वजह से शाक की स्थिति में चली जाती हैं और कई तो मृत्यु का शिकार भी हो जाती है।
एक औरत से वह चीज छीन ली जाती है जिसके कारण वह जिंदगी भर कभी शारीरिक सुख का अनुभव नहीं कर पाएगी। उसकी जिंदगी कुछ ऐसी हो जाती है कि खाना भी खाया और कोई स्वाद भी न आए।
दुनिया में आज भी ऐसे बहुत से देश हैं जहां महिलाओं को अभी भी हीन दृष्टि से देखा जाता है। स्त्रियों का भी धर्म और कविकभी संस्कृति के नाम पर वर्षों से शोषण होता चला आ रहा है। उसमें एक ऐसी प्रथा है जिसको खतना कहा जाता है। इसे अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में अपनाया जाता है। यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पूरे विश्व में करीब 20 करोड़ लड़कियों और औरतों के जननांगों को काटकर विकृत किया गया है। यह डाटा 31 देशों से जुटाया गया था। इसमें ईराक, यमन, मालदीव और इंडोनेशिया भी शामिल है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रथा दुनिया के 92 देशों में अभी भी जारी है। लेकिन विश्व के 51 देशों में यह प्रथा पूरी तरह से वर्जित है। जिसमें भारत भी शामिल है। इसके साथ ही साथ अमेरिका सिंगापुर, ईरान और श्रीलंका जैसे देशों में यह प्रथा अभी भी प्रचलित है।
क्या भारत में महिलाओं का खतना किया जाता है ?
यह प्रथा भारत में केवल बोहरा समुदाय और केरल के सुन्नी मुस्लिम संप्रदाय में अभी भी प्रचलित है। हमारे देश में बोहरा समुदाय के 10 लाख लोग रहते हैं। इस समुदाय में अभी तक कितनी महिलाओं और बच्चियों का खतना हुआ है इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। 2018 के एक अध्ययन के अनुसार इस समुदाय में 7 साल से अधिक उम्र की 75 फ़ीसदी लड़कियों का खतना हो चुका है।