कितना भी कोई जप कर ले, तप कर ले, साधना कर ले, लेकिन बिना ब्रह्मचर्य पालन के उसमें कभी सफलता नहीं मिलती है। ब्रह्मचर्य के बिना कोई भी साधना वैसे ही है जैसे एक तरफ से घड़े में आदमी पानी डालता है और दूसरी तरफ घड़े में छेद होने की वजह से सारा पानी नीचे बह जाता है। यदि कोई किसी भी प्रकार का मंत्र या यंत्र सिद्ध करना चाहता है तो उसे सबसे पहले अपने ब्रह्मचर्य को मजबूत रखना पड़ेगा। ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करने से हमारा दिमाग सही तरीके से काम नहीं कर पाता है। सोचने समझने की योग्यता नष्ट हो जाती है। संकल्प बल कमजोर हो जाता है। इसलिए लोग बरसों तक साधना तो करते हैं लेकिन उसमें कोई सफलता नहीं मिलती। जितने भी हमारे ऋषि-मुनि हुए वह सब पहले ब्रह्मचर्य का पालन करते थे। पतंजलि के योग दर्शन के शुरू में ही यम के पांच भेद बताये गए हैं। सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह तथा ब्रह्मचर्य। जब आदमी इन 5 चीजों पर ध्यान देता है तब जाकर साधना करने के काबिल हो पाता है।
किसी भी साधना में सफलता कैसे मिलेगी ? (Sadhna Me Safalta Kaise Milegi)
अगर आप किसी भी साधना में सफलता पाना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने खान-पान को सात्विक बनाएं। उसके बाद स्त्री से दूर रहें। ब्रह्मचर्य का अच्छी तरह पालन करें। इससे साधना में मंत्र जप से जो इनर्जी बनेगी वह शरीर में टिकी रहेगी। जैसे-जैसे आप साधना में आगे बढ़ेंगे, वैसे-वैसे आपके शरीर में मंत्र जप से एक ऐसी विद्युत एनर्जी क्रिएट होगी जो एक पावर हाउस की तरह काम करेगी। लोग जप, ध्यान, साधना तो करते हैं लेकिन दो-चार, 10 दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने के बाद फिर जाकर अपना सत्यानाश कर लेते हैं। इसलिए उनको कोई सफलता नहीं मिलती है। साधना में सफलता के लिए व्यक्ति को दृढ़ विश्वासी, संकल्प का धनी होना चाहिए
। अध्यात्म मार्ग में आगे बढ़ने वालों को अटूट श्रद्धा एवं दृढ़ विश्वास होना चाहिए। संदेह होने से कोई भी कार्य सफल नही हो पाता है।
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संसार में जितने भी चमत्कार या अविष्कार होते हैं वह क्षीण मन के लोग नहीं करते हैं। जाने अनजाने यह वही लोग होते हैं जो किसी न किसी तरह अपने ब्रह्मचर्य का पालन करके अपने बुद्धि को सूक्ष्म बना लेते हैं। आपने ए पी जी अब्दुल कलाम का नाम सुना होगा जो आजीवन ब्रह्मचर्य थे और उन्होंने बड़े-बड़े चमत्कारी आविष्कार भी किए। अगर आदमी केवल 1 साल तक ठीक से ब्रह्मचर्य का पालन कर लेगा तो हिंसक प्राणी भी उसका मुकाबला करने से घबराएगा। ब्रह्मचर्य पालन से एक ऐसी शक्ति इकट्ठी हो जाती है जिसकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं। अगर केवल ब्रह्मचारी आदमी का कोई पूजन करता है तो भी उसका कार्य सफल हो जाता है। ऐसी ब्रह्मचर्य की महिमा बताई गई है। विवेकानंद अपने भाषणों में हमेशा कहा करते थे, कि अगर हमें दुबारा पढ़ाई करनी पड़ी तो मैं दो ही चीज पढूंगा अनासक्ति और एकाग्रता। अनासक्ति का मतलब होता है किसी भी चीज में आसक्त न होना और एकाग्रता का मतलब होता है कोई भी काम करें तो उसको पूरा मन लगाकर करें जब तक कि उसमें सफलता न मिल जाए।
ब्रह्मचर्य किसे कहते हैं ? (Brahmacharya Kise Kahte Hain)
ब्रह्मचारी का मतलब यह नहीं है कि आपने शादी नहीं की है तो आप ब्रह्मचारी हैं। समाज में बहुत सारे लोग ऐसे मिलेंगे जिन्होंने शादी नहीं की है, लेकिन वह ब्रह्मचारी नहीं हैं। कुंवारा होना एक बात है लेकिन ब्रह्मचारी होना दूसरी बात है। लोग कुंवारा होकर भी बहुत सारे ऐसे कुकृत्य करते हैं जिससे उनका ओज, बल, वीर्य सारा नाश हो जाता है। ब्रह्मचर्य एक ऐसी शक्ति है, जिसके द्वारा कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकता है। यह एक ऐसी इनर्जी है इसको जिधर मोड़ दिया जाए उधर ही अपना प्रभाव दिखाता है।