power of meditaion

जब आदमी ध्यान (Meditation) करता है और उसका मन नियंत्रित होने लगता है तो उसके अंदर अथाह स्प्रिटुअल एनर्जी पैदा होने लगता है। फिर उस एनर्जी को आदमी जिस क्षेत्र में लगाता है उसी क्षेत्र में वह सफल हो जाता है। ध्यान हमारे माइंड पावर को भी बढ़ाता है। कैसे पता चलेगा कि हमने सही ध्यान (Meditation) किया है या नहीं ? यदि आप ध्यान करते हैं तो यह समझना आवश्यक है कि ध्यान क्या है। ध्यान कोई क्रिया नहीं है। ध्यान वह है जैसे मुर्दा पड़ा रहता है और उसके अंदर न कोई विचार होता है और न शरीर में कोई हिलचाल होता है। जब आप इस स्थिति में पहुंचेंगे तब आपको ध्यान के सारे रहस्य समझ में आने लगेंगे। 

संस्कृत शब्द है “ध्यान” का अंग्रेजी में इसे “फोकस” या “एब्सोल्यूट अटेंशन” के रूप में जाना जाता है। हालांकि ज्यादातर “ध्यान” शब्द के साथ लोग भ्रमित हैं। मेडिटेशन यानि ध्यान (Meditation) का अर्थ है एक जगह पर चुपचाप बैठना यानि मन, बुद्धि, शरीर से कुछ न करना। योगी लोग इस कुछ न करने की स्थिति को सबसे बड़ी पूजा और ध्यान मानते हैं। जबकि एक ध्यान होता है मन को एकाग्र करना। इस ध्यान (Meditation) में पहला कदम है खुद को एकाग्र करना और समझना। यह ध्यान अपने आपको समझने से लेकर किसी भी चीज़ को उसके वास्तविक रूप में समझने तक की यात्रा पर ले जाता है। लंबे समय तक अविचलित ध्यान (Meditation) का अभ्यास करने से अभ्यासी को स्वयं ध्यान के विषय के बारे में सत्य की स्पष्ट समझ प्राप्त होती है। जब ध्यान (Meditation) का अभ्यास पूरा गहरा होता है तो स्थान या वातावरण और परिस्थितिजन्य स्थितियों तक यह सीमित नहीं रह जाता है। अभ्यासी अपनी पूरी क्षमता का एहसास करना शुरू कर देता है। इसलिए, ध्यान जीवन जीने का एक तरीका है जहां आप पल-पल पूरे एकाग्रता के साथ जीते हैं।

“साधना” शब्द का अनुवाद नियंत्रित क्रियाओं (Controlled Actions) के रूप में किया जाता है। जब व्यक्ति स्वयं की पूर्ण क्षमता से अवगत हो जाता है, तब क्रियाओं को नियंत्रित करने की क्षमता संभव होती है। इसलिए, साधना एक निश्चित परिणाम प्राप्त करने के लिए निर्धारित समयबद्ध प्रक्रिया को संदर्भित करता है।

ध्यान (Meditation) और साधना में सबसे बड़ी बाधा है अभ्यास के दौरान उत्पन्न होने वाले नकारात्मक विचार। इन नकारात्मक विचारों (Negative Thoughts) का मुख्य स्रोत आपके और आपके आस-पास मौजूद नकारात्मक ऊर्जाएं (Negative Energies) हैं। इसलिए, गहन मध्यस्थता के लिए परिवेश के साथ-साथ स्वयं को शुद्ध करना अनिवार्य है। इस ध्यान और साधना से ज्ञान, कैवल्य और निर्वाण के फूल खिलते हैं।

ध्यान साधना उनके लिए आसान हो जाता है जो किसी सिद्ध पुरुष के संपर्क में आकर उनसे दीक्षा लेकर करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी सिद्ध पुरुष से ध्यान साधना की दीक्षा लेता है तो वह सिद्ध पुरुष उसके ऊपर शक्तिपात भी कर देते हैं। जिससे उसको साधना करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ता है। इसलिए अपने जीवन को उज्जवल बनाने के लिए किसी न किसी योगी पुरुष को खोज कर ध्यान साधना करना चाहिए। 

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