rishi-muniyo-ki-vigyan-ke-aage-aaj-ka-vigyan-kuchh-nahin

सुप्रसिद्ध गांधीवादी नेता एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने श्री रामचरितमानस की बातों को अक्षर-अक्षर सत्य मानकर इसकी पुष्टि में अपनी स्वयं की आंखों देखी सत्य घटनाओं का अपने एक लेख में जो कुछ वर्णन किया है, उसे यहां पर ज्यों का त्यों पाठकों के सामने रख रहा हूँ । 

श्री मोरारजी देसाई अंधविश्वासी नहीं थे। उन्होंने spiritual power को अपनी आंखों के सामने देखा था। उनको विश्वास हो गया था कि वास्तव में Spiritual Energy सबके अंदर होती है। रामायण, श्रीराम एवं श्री कृष्ण की बातों को उन्होंने सत्य माना है। भगवान श्रीराम को उन्होंने साक्षात परमात्मा का अवतार स्वीकार किया है। 

श्री रामचरित मानस संबंधित एक लेख में उन्होंने लिखा है कि श्री तुलसीदास जी ने उस समय के विज्ञान का जिस प्रकार का वर्णन किया है। उसे देखने से ऐसा लगता है कि उस समय जो विज्ञान था। वहां तक आज का विज्ञान नहीं पहुंच पाया है। आज के युग में आठों सिद्धियों की बातों को शायद आप नहीं माने, पर मैंने अपनी आंखों से ऐसी घटनाएं देखी हैं। जिनमें से कुछ घटनाओं का वर्णन यहां दिया जा रहा है। 

सिद्ध संत द्वारा लिखे हुए सवालों का जवाब 

मुंबई में सन 1956 में एक कन्नड़ भाई मेरे पास आए तथा बोले कि आप तीन सवाल चाहे जिस भाषा में लिखिए, मैं बिना पढ़े उनके जवाब उसी भाषा में दूंगा। मैंने एक कागज पर गुजराती भाषा में तीन सवाल दूर बैठकर लिखें और कागज को उलट कर रख दिया। उन्होंने तीनों प्रश्नों के उत्तर एक कागज पर लिखकर मुझे दिए। मेरे सवाल गुजराती में थे और उत्तर भी गुजराती में ही लिखे थे। सभी उत्तर सही थे। 

मैंने पूछा भाई तुमने यह चमत्कारी विद्या कहां से सीखी। उन्होंने बताया परीक्षा में फेल होने पर कुएं में गिर कर आत्महत्या करने गया था। वहां पर एक साधु ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बचा लिया और मुझे अपना शिष्य बना लिया। एक बार उन्होंने मुझसे कहा कि चल हिमालय चलते हैं। उन्होंने मेरी आंखों पर पट्टी बांधी और 2 मिनट बाद पट्टी खोली तो मैं हिमालय पर था। वहां उन्होंने मुझे अनेक विद्यायें सिखाई। एक दिन मैंने उनसे कहा कि मुझे घर जाना है। साधु ने मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी और 2 मिनट बाद मैं अपने घर पर पहुंच गया। 

एक संत ने कैसे मनचाही सुगंध प्रकट कर दी 

महाराष्ट्र में बिहार के सेक्रेटरी थे। वह मेरे घनिष्ठ परिचित थे। वे एक ऐसे संत के शिष्य थे जो पानी के ऊपर चल सकते थे। एक बार वे अपने लड़के को लेकर उन महात्मा के पास गए। लड़के ने उन साधु से कहा – मैंने सुना है कि आप अनेक प्रकार के पदार्थ और इत्र पैदा करते हैं। साधु ने कहा – तुम्हें कौन सा इत्र चाहिए ?लड़के ने कहा कि गुलाब का इत्र। साधु ने कहा कि इस कमरे से 2 मिनट के लिए बाहर जाओ। साधू ने दरवाजा बंद कर लिया। 2 मिनट बाद लड़का अंदर कमरे में आया तो वहां गुलाब के इत्र की सुगंध चारों ओर फैली हुई थी। 4-5 मिनट तक उसके शरीर पर इत्र ही इत्र फैला दिखाई दिया। 

इस चमत्कार को देखने के बाद लड़के ने कहा कि आप पानी पर चलकर दिखाइए ?क्या मनुष्य में इतनी शक्ति है कि वह अपने वजन को इतना हल्का कर ले कि पानी पर चलने लगे ? साधु ने लड़के से कहा जरा अपना हाथ सीधा करो। लड़के ने अपना हाथ सीधा किया तब साधु उस पर चढ़ गए। उसे पता भी न चला। हाथ पर वजन भी नहीं लगा। यह देखकर उन आई0 सी0 एस0 भाई (सेक्रेटरी) ने उनसे कहा जरा मेरे हाथ पर भी चढ़िये। साधु ने उनके हाथ पर भी यही प्रयोग किया। यदि इस शक्ति को हम प्राप्त कर सके तो विज्ञान में क्या रखा है। 

श्री मोरारजी देसाई द्वारा देखी तथा लिखी गई सिद्धि कि उपर्युक्त घटनाओं को पढ़कर यही धारणा बनती है कि शास्त्रों, पुराणों, रामायण, महाभारत आदि में आई चमत्कारिक घटनायें सर्वथा सत्य है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *